नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। एक जुलाई से प्रदेश के कॉलेजों में नया सत्र शुरू होने जा रहा है, सोचने वाली बात यह है कि उच्च शिक्षा विभाग के पास अब बस एक सप्ताह का समय शेष है, लेकिन अब तक पाठ्यक्रम भी तैयार नहीं किया जा सका है। नए शैक्षणिक सत्र 2025-26 से यूजी के साथ-साथ पीजी में भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू हुई है तो नया अध्यादेश भी लागू किया गया है।
वहीं पीजी पाठ्यक्रम के लिए जारी करिकुलम और क्रेडिट फ्रेमवर्क के आधार पर नवीन अध्यादेश क्रमांक 14(2) के तहत बदलाव किया गया है। अब तक विभाग की ओर से कोई तैयारी नहीं हो पाई है। वहीं अब तक कई विश्वविद्यालयों ने यूजी चतुर्थ वर्ष का परिणाम भी जारी नहीं किया है। इससे पीजी में प्रवेश लेने में परेशानी होगी।
विभाग ने ऐसे विद्यार्थियों की सीटों का आवंटन रोक दिया, जो यूजी में पढ़े विषयों को छोड़कर अन्य विषयों से दो वर्षीय पीजी करना चाहते हैं। दरअसल, विभाग पीजी के नए अध्यादेश के तहत व्यवस्था तैयार नहीं कर सके। अब इन विद्यार्थियों को पीजी में प्रवेश कैसे दिया जाएगा, इस संबंध में विभाग विचार कर रहा है। इससे प्रदेश के करीब 14 लाख विद्यार्थी परेशान होंगे।
नए अध्यादेश के तहत यूजी में विद्यार्थी तीसरे विकल्प में बहुसंकाय (मल्टी डिस्पलनरी) विषय में से एक का चयन कर सकेंगे। इसमें 12वीं में विद्यार्थी ने जिस संकाय में पढ़ाई किया है, उस विषय को छोड़कर दूसरे संकाय के कोई भी विषय को ले सकेंगे। इसमें अब तक 25 विषयों का पाठ्यक्रम तैयार नहीं हो सका है।
दो वर्षीय पीजी में प्रवेश की पात्रता शर्तों में बदलाव हुआ है। इसके अनुसार विद्यार्थियों ने जिन विषयों को यूजी में पढ़ा है, उन्हीं से पीजी कर पाएगा। इन विषयों के अलावा अन्य विषय से पीजी करना चाहते हैं तो उन्हें उसकी पात्रता प्रवेश परीक्षा देकर प्राप्त करनी होगी।
अब तक विभाग ने प्रवेश परीक्षा के संबंध में कोई गाइडलाइन नहीं बनाई है। इसके तहत तीन वर्षीय यूजी करने के लिए जिन विषयों को मेजर(मुख्य विषय) और माइनर विषय बनाया है, उसी से पीजी करने की पात्रता होगी।
कॉलेजों का सत्र एक जुलाई से ही शुरू होगा। विभाग की ओर से जल्द तैयारी पूरी कर ली जाएगी। -
अनुपम राजन, अपर मुख्य सचिव, उच्च शिक्षा विभाग।