
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। किसानों और स्थानीय स्तर पर भारी विरोध के बाद आखिरकार सरकार ने उज्जैन के सिंहस्थ क्षेत्र की लैंड पूलिंग योजना को मंगलवार देर रात निरस्त कर दिया। अब सिंहस्थ क्षेत्र में ठीक उसी तरह से व्यवस्था होगी, जैसे अब तक होती आई है। लैंड पूलिंग योजना में सरकार ने सिंहस्थ क्षेत्र में स्थायी निर्माण के लिए किसानों की भूमि लैंड पूलिंग के तहत लेने का प्रविधान किया था। इसमें किसानों को भूमि का एक हिस्सा विकसित करके दिया जाता और शेष का मुआवजा मिलता लेकिन इसके लिए वे तैयार नहीं थे।
चौतरफा विरोध को देखते हुए लैंड पूलिंग योजना में संशोधन किया गया था, जिसमें केवल सड़क, नाली, पानी की टंकी आदि स्थायी निर्माण के लिए भूमि लेने का प्रविधान था। इस पर भी किसान तैयार नहीं थे। इसके बाद सरकार ने पूरी लैंड पूलिंग योजना को ही निरस्त कर दिया।
वर्ष 2028 में होने वाले सिंहस्थ में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं के आने की संभावना को देखते हुए सरकार ने सिंहस्थ क्षेत्र में स्थायी अधोसंरचना निर्माण के लिए सिंहस्थ क्षेत्र के लिए उज्जैन विकास प्राधिकरण के माध्यम से चार नगर विकास योजना आठ, नौ, दस और 11 तैयार की थी।
इसमें किसानों की भूमि लैंड पूलिंग के प्रविधान के अनुसार ली जाती। एक हिस्सा विकसित कर किसान को दिया जाता और शेष का मुआवजा मिलता। इसके बाद भूमि पर उसका कोई अधिकार नहीं रह जाता। किसान इसके विरोध में थे। भारतीय किसान संघ मध्य प्रदेश ने इसे लेकर आंदोलन किया।
कांग्रेस ने भी सुर में सुर मिलाए। सरकार ने योजना में संशोधन करके केवल अधोसंरचना विकास के कामों के लिए भूमि लेने का प्रविधान 19 दिसंबर 2025 को संशोधित आदेश के माध्यम से कर दिया लेकिन इस पर भी बात नहीं बनी तो सरकार ने योजना को पूरी तरह से निरस्त करने का निर्णय ले लिया।
MP Land Pooling Act: किसानों के भारी विरोध के बाद सिंहस्थ लैंड पूलिंग एक्ट निरस्त

उज्जैन उत्तर से भाजपा विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा ने भी योजना से असहमति जताई थी। उन्होंने हाल ही में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा कि किसान हित में लैंड पूलिंग योजना निरस्त होनी चाहिए। अगर किसान 26 दिसंबर से आंदोलन शुरू करते हैं तो मैं भी इसमें सम्मिलित होने के लिए विवश रहूंगा। सिंहस्थ सदियों से अस्थायी स्वरूप में आयोजित होता रहा है, जहां स्थायी कांक्रीट निर्माण न तो परंपरा के अनुरूप है और न ही आवश्यक। साथ ही सिंहस्थ क्षेत्र में बसे लगभग एक लाख लोगों को आवासीय प्रयोजन का लाभ देते हुए इस क्षेत्र को सिंहस्थ क्षेत्र से मुक्त करने और पिपलीनाका क्षेत्र की तीन सड़कों के चौड़ीकरण पर पुनर्विचार करने की मांग भी रखी।
लैंड पूलिंग योजना निरस्त होने से उज्जैन में जश्न, 17 गांवों के किसानों ने निकला विजय जुलूस
26 दिसंबर से उज्जैन में ‘डेरा डालो–घेरा डालो आंदोलन’ की घोषणा-भारतीय किसान ने उज्जैन में 26 दिसंबर से डेरा डालो-घेरा डालो आंदोलन की घोषणा कर दी थी। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने कहा था कि किसान प्रशासनिक कार्यालयों का घेराव करेंगे और चरणबद्ध आंदोलन चलाया जाएगा।