राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। मध्य प्रदेश में आगामी तीन वर्षों में ढाई लाख से अधिक कार्यरत पदों पर भर्तियां होनी हैं। इसमें किसी को भी जीवित रोजगार पंजीयन से छूट नहीं मिलेगी। इसकी अनिवार्यता बनी रहेगी। मुख्य सचिव अनुराग जैन की अध्यक्षता वाली वरिष्ठ सचिव समिति मौजूदा व्यवस्था में परिवर्तन के पक्ष में नहीं है।
दरअसल, यह व्यवस्था इसलिए बनाकर रखी जा रही है, ताकि प्रदेश के युवाओं को सरकारी नौकरियों में अधिक से अधिक अवसर मिल सके। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 30 लाख से अधिक आकांक्षी (पंजीकृत बेरोजगार) युवा हैं।
पुलिस भर्ती में रोजगार पंजीयन की अनिवार्यता के कारण अन्य राज्यों के युवा अयोग्य हो गए थे। इन्होंने सरकार के नियम को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर कोर्ट ने युवाओं को राहत देते हुए इस व्यवस्था को समान अवसर देने के अधिकार के विरुद्ध बताते हुए केवल प्रशासनिक औपचारिकता बताया था और कहा था कि इससे योग्यता का निर्धारण नहीं हो सकता है।
हाईकोर्ट के इस आदेश को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका लगाकर चुनौती दी थी, पर राहत नहीं मिली और व्यवस्था पर पुनर्विचार करने के निर्देश दिए गए। उधर, रोजगार पंजीयन की अनिवार्यता के मामले में निर्णय न होने के कारण भर्तियां अटक गई थीं। इसे देखते हुए सामान्य प्रशासन विभाग ने वरिष्ठ सचिव समिति के समक्ष पूरा प्रकरण रखा।
सूत्रों के अनुसार, इसमें अन्य राज्यों के युवाओं की परीक्षाओं में भागीदारी से संबंधित डेटा प्रस्तुत किया गया, जिसमें यह बात सामने आई कि इस प्रविधान के कारण राज्य के युवाओं को अधिक अवसर प्राप्त होते हैं। अन्य राज्यों के युवा रोजगार पंजीयन कम कराते हैं, जिसका स्वभाविक लाभ प्रदेश के युवाओं को मिलता है।
सभी पहलूओं पर विचार करने के बाद समिति इस निष्कर्ष पर पहुंची कि जीवित रोजगार पंजीयन की वर्तमान व्यवस्था को बनाकर रखा जाए। पुलिस भर्ती को लेकर इस संबंध में अलग से निर्णय लिया जाएगा, जो कोर्ट में विचाराधीन है।
यही कारण है कि प्राथमिक शिक्षकों के 13 हजार 89 पदों पर भर्ती के लिए कर्मचारी चयन मंडल ने विज्ञापन जारी किया है, उसमें भी रोजगार कार्यालय में जीवित पंजीयन अनिवार्य रखा है। प्रत्येक पांच वर्ष में इसका नवीनीकरण कराना होता है, अन्यथा नाम हटा दिया जाता है। विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय शुक्ला का कहना है कि रोजगार पंजीयन परिपत्र में कोई संशोधन नहीं हुआ है।