नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों की स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। राज्य शिक्षा विभाग के हालिया आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश के हजारों स्कूल बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। कहीं भवन जर्जर हैं तो कहीं बिजली, फर्नीचर और शौचालय की सुविधा नहीं है। इस बदहाल स्थिति ने न केवल छात्रों की शिक्षा पर असर डाला है बल्कि उनकी सुरक्षा को भी खतरे में डाल दिया है।
मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों की हालत बेहद खराब है। राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 92,032 सरकारी स्कूल संचालित हो रहे हैं, जिनमें से 5,600 स्कूलों के भवन पूरी तरह जर्जर हैं और 81,568 क्लासरूम खस्ताहाल अवस्था में हैं। यह आंकड़े राज्य की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलते हैं।
हाल ही में भोपाल के बरखेड़ा स्थित एक पीएमश्री स्कूल में छत का प्लास्टर गिरने से एक छात्रा घायल हो गई थी। यह घटना कोई अपवाद नहीं है, बल्कि प्रदेश भर में स्कूलों की जर्जर इमारतें छात्रों और स्टाफ के लिए खतरे का संकेत हैं।
स्कूलों में न केवल संरचनात्मक कमी है, बल्कि बुनियादी सुविधाओं का भी गंभीर अभाव है। 15,651 स्कूलों में अब तक बिजली की सुविधा नहीं है, जबकि 67,034 स्कूलों में फर्नीचर की कमी है। इतना ही नहीं, 61,068 स्कूलों में प्रधानाध्यापक कक्ष भी मौजूद नहीं है।
शौचालय की स्थिति भी बेहद खराब है। 2,787 स्कूलों में बालिका शौचालय ही नहीं है, और 9,833 स्कूलों में बालिका शौचालय कार्यरत नहीं हैं। बालकों के लिए भी 3,116 स्कूलों में शौचालय नहीं हैं, जबकि 11,390 स्कूलों में ये निष्क्रिय हैं।
39,722 स्कूलों में बाउंड्री वॉल नहीं है, जिससे सुरक्षा की स्थिति भी कमजोर हो जाती है। 4,978 स्कूलों में खेल मैदान तक उपलब्ध नहीं है, जो बच्चों की समग्र विकास प्रक्रिया को बाधित करता है।
647 स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा नहीं है और 14,423 स्कूलों में हैंडवॉश यूनिट नहीं है, जिससे साफ-सफाई और स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
भोपाल की ही बात करें तो यहां 858 सरकारी स्कूलों में से 120 में बिजली नहीं है, 44 में बालिका शौचालय नहीं है, और 464 स्कूलों में फर्नीचर की भारी कमी है।
राज्य शिक्षा केंद्र के संचालक हरजिंदर सिंह के अनुसार, प्रदेश के प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं का आकलन किया जा रहा है। जर्जर भवनों के नवीनीकरण के लिए बजट जल्द जारी किया जाएगा।