MP Health News :भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। प्रदेश के सभी 13 सरकारी मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों को नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स का प्रमाण पत्र दिलाने के लिए प्रयास शुरू किए गए हैं। यह प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए अस्पतालों की गुणवत्ता में सुधार करना होगा। साथ ही प्रमाण पत्र मिलने के बाद भी गुणवत्ता बनाए रखना होगा। इसका बड़ा फायदा मरीजों को मिलेगा अस्पतालों में उनका इलाज निर्देशों के अनुसार हो सकेगा। इसके लिए चिकित्सा शिक्षा संचालनालय जल्दी ही क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया को पहले चरण के प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने जा रहा है।प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल को अभी यह सर्टिफिकेट नहीं मिला है, जबकि कई निजी अस्पताल एनएबीएच का अंतिम प्रमाण पत्र हासिल कर चुके हैं।
तीन चरणों में मिलता है प्रमाण पत्र
यह प्रमाण पत्र क्वालिटी काउंसिल आफ इंडिया की तरफ से दिया जाता है। पहला चरण एंट्री लेवल का होता है। इसमें अस्पताल में गुणवत्ता के स्तर में मामूली सुधार करने पर ही यह प्रमाण पत्र दे दिया जाता है।इसके बाद दूसरा चरण प्रोग्रेसिव स्तर का होता है। इसमें अस्पताल को कुछ मापदंडों पर खरा उतरना होता है। इस चरण को पूरा करने के बाद अंतिम सर्टिफिकेट दिया जाता है।
इन मापदंडों के लिए दिया जाता है एनएबीएच दर्जा
- अस्पताल में जैव चिकित्सा अपशिष्ट का प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के दिशा निर्देशों के अनुसार निपटान करना।
- अस्पताल में संक्रमण रोकथाम कमेटी बनाकर उसकी नियमित बैठक करना।
- अस्पताल के कर्मचारियों की नियमित ट्रेनिंग।
- तय संख्या में मरीजों से फीडबैक लेना।
- सभी तरह के रिकॉर्ड का संधारण
- अस्पताल में सफाई व्यवस्था।
- मरीजों और उनके स्वजन के बैठने की व्यवस्था।
- अस्पतालों में संकेतक लगाना जिससे मरीजों को आने-जाने में दिक्कत ना हो।
- संक्रमण रोकने के लिए ऑपरेशन थियेटरों से नियमित तौर पर स्वाब के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजना।