MP Human Rights Commission: भोपाल (राज्य ब्यूरो)। मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग ने मध्य प्रदेश मेडिकल सांइस यूनिवर्सिटी जबलपुर की परीक्षा नियंत्रक डॉ. वृंदा सक्सेना के खिलाफ पांच हजार स्र्पये का जमानती वारंट जारी किया है। यह कार्रवाई एक मामले में कई स्मरण पत्र एवं नामजद स्मरण पत्र देने के बावजूद अब तक प्रतिवेदन न देने के कारण की गई है। कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 25 नवंबर 2021 को आयोग में व्यक्तिगत रूप से स्पष्टीकरण देने को कहा गया है। नोटिस एवं जमानती गिरफ्तारी वारंट की तामीली पुलिस अधीक्षक जबलपुर के माध्यम से कराई जाएगी।
मालूम हो, भोपाल के राजीव गांधी आयुर्वेद कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नेहा राठौर ने एक नवंबर 2019 को प्राचार्य राजीव गांधी आयुर्वेद कॉलेज, भोपाल के विरूद्ध शिकायत की थी कि कॉलेज में कार्यरत रहने के दौरान मुख्य प्रायोगिक परीक्षा में उनके जाली हस्ताक्षर कर मूल अंकों से छेड़छाड़ की गई थी। इस संबंध में थाना प्रभारी शाहपुरा ने भी कोई कार्रवाई नहीं की। राठौर ने आयोग से मामले की शिकायत की थी।
आयोग ने मामले में मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी जबलपुर की परीक्षा नियंत्रक को पांच स्मरण पत्र भेजे, परंतु उनकी ओर से प्रतिवेदन नहीं मिला। इसके बाद डॉ. वृंदा सक्सेना को व्यक्तिगत तौर पर दो स्मरण पत्र भेजे और आयोग के समक्ष उपस्थित होने को कहा गया, परंतु उनके द्वारा न तो प्रतिवेदन दिया गया और न ही वे आयोग के समक्ष उपस्थित हुईं। इस पर आयोग ने डॉ. सक्सेना को उपस्थित न होने के कारण पांच हजार स्र्पये से अधिक का जुर्माना लगाने संबंधी नामजद कारण बताओ नोटिस और जमानती गिरफ्तारी वारंट 22 सितंबर को जारी किया है।
सेवानिवृत आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी को मिला लंबित समयमान वेतनमान
मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग के हस्तक्षेप से सतना जिले के एक आवेदक को लंबित समयमान वेतनमान का लाभ मिला है। सतना जिले के उतेली निवासी सेवानिवृत आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ. रामपति सिंह ने तीन अक्टूबर 2019 को आयोग से शिकायत की थी कि वे 31 दिसंबर 2016 को सेवानिवृत हो गए है। वे दूसरे समयमान वेतनमान के लिए पात्र हैं, लेकिन संचालनालय आयुष, मध्य प्रदेश, भोपाल द्वारा उन्हें इसका लाभ नहीं दिया गया। आयोग द्वारा की गई सुनवाई के बाद संचालनालय, आयुष, मध्य प्रदेश, भोपाल ने अवगत कराया है कि डॉ. रामपति सिंह का प्रथम एवं द्वितीय समयमान वेतनमान स्वीकृत कर दिया गया है।