
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण ( एसआईआर) को लेकर आपत्तियां जताई हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के लगभग 25 लाख लोग दूसरे राज्यों में मजदूरी या अस्थायी रोजगार के लिए जाते हैं। जल्दी और सीमित अवधि की गिनती से इनका नाम सूची से हटने का जोखिम अधिक है। बिहार में भी ऐसा ही हुआ था। वह बुधवार को भोपाल में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि अधिकतर आदिवासी दूरदराज क्षेत्रों में रहते हैं, ऐसे में लाखों आदिवासी मतदाता बिना गलती के सूची से हट सकते हैं। एसआईआर के लिए जरूरी 13 दस्तावेजों में वन अधिकार प्रमाण पत्र भी शामिल है। राज्य सरकार ने मार्च 2025 तक तीन लाख से अधिक वन अधिकार दावों को खारिज किया है।
ऐसे में प्रमाणपत्र के अभाव में आदिवासी वोटर वंचित हो सकते हैं। यह समस्या सिर्फ आदिवासियों तक सीमित नहीं, दलित, अल्पसंख्यक मतदाता भी प्रभावित होंगे। सिंघार ने कहा, मध्य प्रदेश में वोट चोरी की जानकारी कांग्रेस ने पूरे प्रमाण के साथ भारत निर्वाचन आयोग को दी थी, पर आज तक जांच नहीं की गई।
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के प्रदेश महामंत्री डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के नेता इस बार हार का ठीकरा एसआईआर पर फोड़ने की तैयारी कर रहे हैं। कांग्रेस व उसके सहयोगी दल जिस तरह से एसआईआर प्रक्रिया का विरोध कर रहे हैं, उसने चोर की दाढ़ी में तिनका वाले मुहावरे को चरितार्थ कर दिया है।
कांग्रेस और आईएनडीआईए गठबंधन के लोग उन राज्यों में भी एसआइआर का विरोध कर रहे हैं, जहां अवैध घुसपैठियों के माध्यम से देश की डेमोग्राफी बदलने का दुष्चक्र चल रहा है। कांग्रेस को लगने लगा है कि अगर एसआईआर की प्रक्रिया होती है, तो वो उन फर्जी और काल्पनिक मतदाताओं से हाथ धो बैठेंगे, जिनका नाम काफी प्रयासों के बाद मतदाता सूची में जुड़वाया गया था।
आदिवासी, अल्पसंख्यक और ओबीसी का नाम लेकर कांग्रेस राजनीति कर रही है। निर्वाचन आयोग यह स्पष्ट कर चुका है कि एसआईआर की प्रक्रिया किसी भी वास्तविक मतदाता को मताधिकार से वंचित करने के लिए नहीं है, बल्कि यह सिर्फ मतदाताओं की जांच के लिए है।