राज्य ब्यूरो नईदुनिया.भोपाल। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में मध्य प्रदेश में वर्ष 2018-19 से 2021-22 के बीच टेक होम राशन (टीएचआर)घोटाला उजागर होने के बाद लोकायुक्त संगठन ने पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की भूमिका की भी जांच शुरू कर दी है।
वजह यह भी है कि अगस्त 2023 में पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने लोकायुक्त में शिकायत कर 500 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था।
उन्होंने इकबाल सिंह बैंस और आजीविका मिशन के पूर्व सीईओ ललित मोहन बेलवाल के विरुद्ध नामजद शिकायत की थी।
बैंस उस समय पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में अपर मुख्य सचिव (एसीएस) थे। टीएचआर बनाने वाला आजीविका मिशन इसी विभाग के अंतर्गत आता है।
लोकायुक्त संगठन ने महिला एवं बाल विकास विभाग, आजीविका मिशन और अन्य संबंधित विभागों एवं कार्यालयों में जानकारी मांगने के बाद जांच पंजीबद्ध की है। पूर्व विधायक सकलेचा ने कहा कि पोषण आहार में आठ जिलों की जांच में सीएजी ने लगभग 500 करोड़ का घोटाला मात्र चार वर्षों में पाया।
यदि सभी जिलों जांच की गई तो यह घोटाला इससे कई गुना बड़ा निकलता। उन्होंने आरोप लगाया कि इकबाल सिंह बैंस ने पंचायत विभाग के अपने कार्यकाल में 2017 में अपने चहेते बेलवाल को वन विभाग से प्रतिनियुक्ति पर लाकर आजीविका मिशन का सीईओ बना दिया।
इसके बाद षड्यंत्रपूर्वक पोषण आहार बनाने वाली सातों फैक्ट्री का कार्य एग्रो इंडस्ट्री कारपोरेशन से लेकर आजीविका मिशन को दे दिया। सकलेचा ने कहा, दिसंबर 2018 में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार बनने पर सातों फैक्ट्री का कार्य पुनः एग्रो इंडस्ट्रीज कारपोरेशन को दे दिया गया।
बाद में वर्ष 2020 में भाजपा की शिवराज सरकार आने पर बैंस मुख्य सचिव बने तो सेवानिवृत हो चुके बेलवाल को संविदा आधार पर फिर आजीविका मिशन का सीइओ बना दिया गया। सखलेचा का कहना है कि इसी कारण बैंस के विरुद्ध भी शिकायत की गई है।
महिला एवं बाल विकास विभाग छह माह से तीन वर्ष तक बच्चों, गर्भवती और 11 से 14 साल तक की स्कूल नहीं जाने वाली किशोरियों में टेक होम राशन बांटता है। सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार लाभार्थियों की पहचान, उत्पादन, परिवहन वितरण और टेक-होम राशन के गुणवत्ता के नियंत्रण में बड़े पैमाने पर हेराफेरी हुई है। सीएजी ने मुख्य सचिव को कथित घोटाले की जांच एक स्वतंत्र एजेंसी से कराने और अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने के लिए कहा था।
सीएजी को दी गई रिपोर्ट में महिला बाल विकास ने बताया था कि पोषण आहार घोटाले को लेकर 73 अधिकारियों को कारण बताओ सूचना जारी की गई। 36 अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय जांच, 11 अधिकारियों के विरुद्ध दंडादेश और नौ के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई। तीन सेवानिवृत अधिकारियों के प्रकरण अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए शासन को भेजे गए।