नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। एक महिला ने ऑफिस जाने के लिए स्कूटर खरीदा था। उसका बीमा भी कराया था। करीब तीन महीने बाद स्कूटर घर के सामने से चोरी हो गई। बीमा कंपनी ने बीमा राशि देने से इनकार कर दिया। महिला ने जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत की।
आयोग ने महिला के पक्ष में फैसला सुनाया और स्कूटर की पूरी कीमत 48 हजार रुपये के साथ 30 हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति राशि देने का आदेश दिया।
दरअसल, विदिशा रोड के ईरानी बस्ती निवासी कनीजा-बी ने जिला उपभोक्ता आयोग बेंच-1 में ऑटो क्लेम टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के खिलाफ 2020 में याचिका लगाई थी। इसमें शिकायत की थी कि वह एक निजी अस्पताल में कार्यरत है और आने-जाने के लिए मार्जिन मनी जमा कर 30 मई 2017 को करीब 46 हजार रुपये का फाइनेंस कराकर होंडा कंपनी का एक स्कूटर खरीदा था। उसका बीमा 1812 देकर एक साल के लिए कराया था। 14 अगस्त 2017 को रात 10 बजे अस्पताल से ड्यूटी कर लौटी थी और घर के सामने स्कूटर को खड़ा किया था।
15 अगस्त 2017 सुबह आठ बजे घर के बाहर वाहन नहीं था। किसी अज्ञात व्यक्ति ने चोरी कर लिया था। इसकी एफआईआर महिला ने छह दिन बाद छोला मंदिर पुलिस थाना में कराई थी। अगले माह महिला ने पत्र के माध्यम से बीमा कंपनी को क्लेम के लिए आवेदन किया। बीमा कंपनी ने क्लेम को निरस्त कर दिया। आयोग ने कहा कि स्कूटर में चाबी लगे होने का कोई सबूत नहीं है।
बीमा कंपनी ने तर्क रखा कि महिला ने 234 दिन के देरी से कंपनी को वाहन चोरी होने की सूचना दी एवं FIR भी 6 से 7 दिन की देर से की गई है। यह बीमा शर्तों का उल्लंघन है। साथ ही, महिला ने अपने स्कूटर में ही चाबी लगी हुई छोड़ दी थी। इस कारण महिला की लापरवाही से स्कूटर चोरी हुआ है।
आयोग ने कहा कि एफआईआर में स्कूटर में चाबी लगी हुई छोड़ने का कोई उल्लेख नहीं है। इसका कोई भी सबूत कंपनी ने प्रस्तुत नहीं किया है। इस कारण इन सभी तर्कों को खारिज किया जाता है। बीमा कंपनी को स्कूटर का कीमत 48 हजार रुपये सहित मानसिक क्षतिपूर्ति राशि 30 हजार रुपये देने का आदेश दिया।