MP News: प्रदेश के 12 शासकीय नर्सिंग कॉलेजों को नहीं मिली मान्यता
राज्य सरकार की गाइडलाइन के बावजूद इन कालेजों ने न तो फैकल्टी नियुक्त की और न ही जरूरी सुविधाएं पूरी कीं। एनएसयूआई ने अगस्त 2025 में इन कॉलेजों की मान्यता प्रक्रिया को लेकर शिकायत की थी, लेकिन विभाग ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
Publish Date: Sat, 04 Oct 2025 07:10:44 PM (IST)
Updated Date: Sat, 04 Oct 2025 07:24:12 PM (IST)
भोपाल स्थित मप्र नर्सिंग काउंसिल कार्यालय।HighLights
- फैकल्टी, ढांचे की कमी से बंद होने की कगार पर।
- एनएसयूआई ने की जांच और कार्रवाई की मांग।
- कुछ संस्थान एक या दो फैकल्टी के भरोसे चल रहे हैं।
नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। मध्यप्रदेश में नर्सिंग शिक्षा की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। प्रदेश के 12 शासकीय नर्सिंग कॉलेज आज भी मान्यता से वंचित हैं। एनएसयूआई का कहना है कि इन कालेजों में शैक्षणिक ढांचे की भारी कमी, फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र और भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताएं हैं। राज्य सरकार की गाइडलाइन के बावजूद इन कालेजों ने न तो फैकल्टी नियुक्त की और न ही जरूरी सुविधाएं पूरी कीं। एनएसयूआई ने अगस्त 2025 में इन कॉलेजों की मान्यता प्रक्रिया को लेकर शिकायत की थी, लेकिन विभाग ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
मंत्री और नेताओं के जिलों में ही कॉलेजों की खराब स्थिति
- रिपोर्ट के मुताबिक, जिन 12 कॉलेजों को मान्यता नहीं मिली उनमें रायसेन, मंदसौर, नरसिंहपुर, जबलपुर, सागर, खंडवा, अमरकंटक, भोपाल, झाबुआ, सीधी, राजगढ़ और दतिया के कॉलेज शामिल हैं।
- एनएसयूआई का आरोप है कि इनमें से कई कॉलेज कुछ संस्थान केवल एक या दो फैकल्टी के भरोसे चल रहे हैं।राज्य सरकार के 13 मंत्रियों और भाजपा नेताओं के गृह जिलों में हैं, लेकिन वे भी अपने जिलों के कॉलेजों की स्थिति सुधार नहीं पाए।
कई कॉलेजों में प्राचार्य और उप प्राचार्य तक नहीं हैं, जबकि कुछ संस्थान केवल एक या दो फैकल्टी के भरोसे चल रहे हैं।
एनएसयूआई ने कहा कि कुछ कॉलेजों ने इतनी खामियों के बावजूद एम.एससी. नर्सिंग की 35 सीटों के लिए आवेदन तक कर दिया है, जो नर्सिंग शिक्षा के साथ खिलवाड़ है। गरीब छात्राओं का भविष्य संकट में
- एनएसयूआई ने सरकार पर आरोप लगाया कि उसकी लापरवाही के कारण हजारों छात्राओं का भविष्य अधर में है। जो छात्राएं निजी कालेजों की ऊंची फीस भरने में सक्षम नहीं हैं, वे अब प्रवेश से वंचित रह जाएंगी।
- एनएसयूआई का कहना है कि यह स्थिति कहीं न कहीं प्राइवेट नर्सिंग कॉलेजों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाई गई है।
- विभाग के कुछ अधिकारी निजी संस्थानों से मिलीभगत कर रहे हैं, जिससे सरकारी कॉलेजों की मान्यता रुकी हुई है। इन कॉलेजों में करीब 1000 से ज्यादा सीटें हैं, जो अब खाली रह जाने का खतरा है।
शासकीय नर्सिंग कॉलेजों की स्थिति बेहद खराब है। हमने अगस्त में इसकी शिकायत की थी, लेकिन सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। आज हालात यह हैं कि कई कालेजों में न प्राचार्य हैं, न शिक्षक। सरकार की लापरवाही से गरीब परिवारों की बेटियां नर्सिंग पढ़ने से वंचित हो रही हैं। अगर जल्द सुधार नहीं हुआ तो एनएसयूआई प्रदेशभर में आंदोलन करेगी।
— रवि परमार, प्रदेश उपाध्यक्ष, एनएसयूआई