राज्य ब्यूरो, नईदुनिया. भोपाल। सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस और पीजी (एमडी-एमएस) कर निकले डाक्टरों में 80 प्रतिशत से अधिक अनिवार्य ग्रामीण सेवा बंधपत्र (बांड) के अंतर्गत सेवाएं नहीं दे रहे हैं। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग की तरफ से सभी संभाग के कमिश्नरों को पत्र लिखकर ज्वाइन नहीं करने वाले डाॅक्टरों को नोटिस देने के लिए कहा जाएगा। इसके बाद भी ज्वाइन नहीं करने वालों का मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल से पंजीयन निरस्त करवाने की कार्रवाई की जाएगी।
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प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र के अस्पताल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर जिला अस्पताल तक में डाॅक्टरों की कमी को देखते हुए एमबीबीएस और एमडी-एमएस कर निकले डाक्टरों को अनिवार्य सेवा बंधपत्र के अंतर्गत शासन द्वारा निर्धारित अस्पताल में एक वर्ष तक सेवा देनी होती है। सेवा नहीं देने पर पंजीयन रद्द करने की कार्रवाई का प्रावधान है, पर इसका कड़ाई से पालन नहीं हो रहा है। अब बीच में छोड़ने वालों को भी इसी सप्ताह नोटिस देकर ज्वाइन करने के लिए कहा जाएगा। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग भी देख रहे उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने ज्वाइन नहीं करने वाले डाक्टरों के विरुद्ध कसावट करने के निर्देश विभाग के अधिकारियों को दिए हैं।