MP News: 13 सरकारी नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता अटकी, 3000 विद्यार्थियों का भविष्य संकट में
इस साल जिन नए विद्यार्थियों को सरकारी नर्सिंग कॉलेजों में दाखिला मिलना था, उसकी प्रक्रिया ही शुरू नहीं हो पाई है। मजबूर होकर उन्हें दूसरे प्रदेशों अथवा निजी कॉलेजों की ओर रुख करना पड़ रहा है। निजी कॉलेजों में बीएससी नर्सिंग पाठ्यक्रम का सालाना शुल्क करीब एक लाख रुपया है, जबकि सरकारी कालेजों में यह मात्र 30 हजार रुपया रहता है।
Publish Date: Wed, 08 Oct 2025 09:56:38 PM (IST)
Updated Date: Wed, 08 Oct 2025 10:04:18 PM (IST)
मध्य प्रदेश के नर्सिंग कॉलेज।HighLights
- नर्सिंग काउंसिल अभी तक निरीक्षण नहीं करा पाया, ताकि मान्यता की प्रक्रिया आगे बढ़ सके।
- नये प्रवेश की समयसीमा भी इस माह खत्म हो जाएगी, मान्यता नहीं मिला तो 1200 सीटें जाएंगी।
- नए विद्यार्थियों को सरकारी नर्सिंग कॉलेजों में दाखिला मिलना था, उसकी प्रक्रिया शुरू नहीं हुई।
नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। मध्यप्रदेश के 13 सरकारी नर्सिंग कॉलेजों को अब तक नर्सिंग काउंसिल से मान्यता नहीं मिल पाई है। इसकी वजह से इन कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे करीब 3000 विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर लगा है। वहीं नया प्रवेश भी बाधित है। इन कॉलेजों में 1200 सीटें हैं।
जानकारी के अनुसार, इस साल जिन नए विद्यार्थियों को सरकारी नर्सिंग कॉलेजों में दाखिला मिलना था, उसकी प्रक्रिया ही शुरू नहीं हो पाई है।
मजबूर होकर उन्हें दूसरे प्रदेशों अथवा निजी कॉलेजों की ओर रुख करना पड़ रहा है। निजी कॉलेजों में बीएससी नर्सिंग पाठ्यक्रम का सालाना शुल्क करीब एक लाख रुपया है, जबकि सरकारी कालेजों में यह मात्र 30 हजार रुपया रहता है।
चार साल की पढ़ाई में सरकारी कालेज जहां लगभग 1.20 लाख रुपये में कोर्स पूरा कराते हैं, वहीं निजी कॉलेजों में यह खर्च चार से पांच लाख रुपये तक पहुंच जाता है। साथ ही सरकारी संस्थानों में आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति भी मिलती है।
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एक बार बढ़ाया जा चुका प्रवेश का समय
मप्र के नर्सिंग कालेजों में पहले 30 सिंतबर तक प्रवेश प्रकिया पूर्ण होनी थी लेकिन प्रक्रिया की शुरूआत ही 22 सितंबर से हुई। अब इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आईएनएस) से अनुमति लेकर इसकी तिथि 30 अक्टूबर तक बढ़ा दी गई है। तय कार्यक्रम के मुताबिक 13 अक्टूबर को अस्थायी सीट आवंटन व 14 से 18 तक अपग्रेडेशन और प्रवेश होने हैं।
इन संस्थानों को अभी तक मान्यता नहीं
- शासकीय नर्सिंग कॉलेज, रायसेन: प्राचार्य, उप प्राचार्य और असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं।
- शासकीय कॉलेज आफ नर्सिंग, मंदसौर: मात्र पांच फैकल्टी कार्यरत।
- शासकीय कॉलेज आफ नर्सिंग, नरसिंहपुर: उप प्राचार्य, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं
- शासकीय आयुर्वेद कॉलेज, जबलपुर: केवल दो फैकल्टी कार्यरत।
- शासकीय जीपीएनएम स्कूल, राजगढ़ : प्राचार्य, उप प्राचार्य और असिस्टेंट प्रोफेसर के पद रिक्त।
- शासकीय कॉलेज आफ नर्सिंग, बुंदेलखंड मेडिकल कालेज सागर: स्टाफ की भारी कमी।
- स्कूल आफ नर्सिंग, खंडवा: प्रमुख पद खाली।
- डिपार्टमेंट आफ नर्सिंग, इंदिरा गांधी ट्राइबल यूनिवर्सिटी, अमरकंटक: कुल 50 सीटों पर केवल एक फैकल्टी।
- पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद महाविद्यालय, भोपाल: फैकल्टी नियुक्ति मानक से कम।
- शासकीय जीपीएनएम स्कूल, झाबुआ: प्राचार्य व असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं।
- शासकीय जीपीएनएम स्कूल, सीधी: प्रमुख पद रिक्त।
- स्कूल आफ नर्सिंग, दमोह: शिक्षण स्टाफ नहीं।
- शासकीय धनवंतरी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज, उज्जैन: केवल एक फैकल्टी कार्यरत।
प्रदेश के नर्सिंग संस्थानों को मान्यता देने की प्रक्रिया चल रही है। जल्दी ही इसका निराकरण कर लिया जाएगा।
- मुकेश सिंह, रजिस्ट्रार, मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल