
नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल: मध्य प्रदेश पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने वाले 13 माओवादियों से सुरक्षा एजेंसियां गहन पूछताछ कर रही हैं। पूछताछ के दौरान माओवादियों ने बताया कि पिछले लगभग दो वर्षों से उन्हें ग्रामीणों का सहयोग मिलना बंद हो गया था, जिससे भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी होने लगी थी।
माओवादियों के अनुसार पुलिस का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा था। ड्रोन के माध्यम से की जा रही निगरानी के कारण जंगलों में छिपकर रहना बेहद कठिन हो गया था। इसी दौरान संगठन के वरिष्ठ नेताओं ने अन्य राज्यों में समर्पण कर दिया, जिससे उन्हें भी आत्मसमर्पण के लिए मजबूर होना पड़ा।
जानकारी के अनुसार करीब छह महीने पहले बालाघाट जिले के रासीमेटा गांव के ग्रामीणों ने माओवादियों को राशन और अन्य सामग्री देने से इनकार कर दिया था। यह गांव माओवादी रही संगीता का है। पहले यहां के लोग भय के कारण माओवादियों की मदद करते थे, लेकिन पुलिस ने रणनीति के तहत गांव में चौकी स्थापित कर दी। इससे ग्रामीणों में सुरक्षा की भावना बढ़ी और उन्होंने सहयोग बंद कर दिया।
रासीमेटा गांव के बाद अन्य गांवों के लोगों ने भी माओवादियों को सहायता देने से मना कर दिया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि पूछताछ की प्रक्रिया अभी जारी है। इसके बाद अन्य राज्यों में समर्पण करने वाले मध्य प्रदेश के माओवादियों को भी प्रदेश लाकर पूछताछ की जाएगी।
पूछताछ के दौरान पुलिस का मुख्य फोकस जंगलों में छिपाए गए हथियारों की जानकारी जुटाने पर है। माओवादियों ने कई स्थानों पर जमीन के अंदर हथियार छिपा रखे थे, जिन्हें अब बरामद किया जा रहा है। इसके लिए समर्पण करने वाले माओवादियों को जंगलों में ले जाया जा रहा है। कान्हा-भारेमदेव डिवीजन के माओवादियों द्वारा बड़ी संख्या में हथियार जंगल में गाड़े गए थे, जिन्हें उनके बताए अनुसार निकाला गया है।