राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। मध्य प्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह के कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर दिए विवादित बयान से देशभर में भाजपा की किरकिरी हुई। इसके बाद पचमढ़ी में 14 से 16 जून के बीच प्रशिक्षण शिविर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित कई बड़े नेताओं ने सांसद-विधायकों और मंत्रियों को यह समझाया कि क्या बोलना है, क्या नहीं। हालांकि इसका कोई असर होता नहीं दिख रहा।
अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा करने वाले बयान थम नहीं रहे हैं। गुना के चाचौड़ा से भाजपा विधायक प्रियंका पैंची ने एसपी अंकित सोनी पर महिला होने के नाते मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया। इस संबंध में मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव को पत्र लिख दिया। मई में लिखा पत्र सार्वजनिक होने के बाद बड़े नेताओं को दखल देना पड़ा।
इसी तरह दमोह में भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष प्रीतम सिंह लोधी ने सार्वजनिक कार्यक्रम में भाजपा नेता संजय सेन और उनकी पत्नी कविता राय से जमकर बहस कर ली। संचालन कर रहे संजय सेन ने प्रीतम लोधी का नाम नहीं लिया, इस छोटी से बात से विवाद इतना बढ़ा कि पुलिस बुलानी पड़ी। मामला प्रदेश संगठन तक पहुंचा।
इसी तरह 16 जून को हटा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले रनेह के एक अस्पताल में विवाद के बाद थाने के घेराव में प्रीतम लोधी ने कहा कि उसी को सांसद-विधायक चुनें जो लोधी समाज के साथ खड़ा रहे। उधर, पार्टी ऐसे मामलों से छवि और न बिगड़े, इस चिंता में ऐसे कार्यकर्ताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं कर रही है। विशेषज्ञों के अनुसार इसी वजह से ऐसे मामले रुक भी नहीं रहे।
प्रियंका पैंची ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि गुना के एसपी अंकित सोनी मंत्री-विधायक की सलाह के बिना ही पुलिसकर्मियों के स्थानांतरण कर रहे हैं। उन्होंने यह तक कहा कि रोज नई-नई कहानियां गढ़कर एसपी और चाचौड़ा एसडीओपी उन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं। मुख्यमंत्री से उन्होंने तुरंत कार्रवाई का अनुरोध किया था।
सोमवार को प्रियंका को पार्टी कार्यालय बुलाकर प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने समझाइश दी। उन्होंने मीडिया से कहा कि मुझे प्रताड़ित नहीं किया जा रहा। कोई भी कार्यकर्ता परेशान होता है तो उसकी परेशानी को हम अपनी समझते हैं। प्रदेश कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इसे पार्टी की भीतरी कलह बताया।