
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। मध्य प्रदेश में मतदाता सूची के शुद्धीकरण के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के पहले चरण में 5,74,06,140 मतदाताओं के गणना पत्रक का डिजिटाइजेशन किया गया। मृत, अनुपस्थित और दोहरी प्रविष्टि वाले लगभग 41 लाख नाम हटाकर दूसरे चरण में मंगलवार को 65,014 मतदान केंद्रों पर मतदाता सूची के प्रारूप का प्रकाशन होगा। इसके बाद उन 9 लाख मतदाताओं के नाम होंगे, जिन्होंने अधूरे गणना पत्रक जमा किए हैं। इन्हें नोटिस देकर दस्तावेज जमा करने का अवसर दिया जाएगा। यदि वे चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित 11 दस्तावेजों में एक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी को दे देते हैं तो उनका नाम अंतिम सूची में शामिल कर लिया जाएगा।
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के अधिकारियों का कहना है कि मतदाता सूची के प्रारूप प्रकाशन की सभी तैयारियां हो चुकी हैं। इसके साथ ही दावा-आपत्ति का काम प्रारंभ हो जाएगा, जो 22 जनवरी तक चलेगा। इस अवधि में नाम जोड़ने या हटाने के साथ संबंध में जो आवेदन प्राप्त होंगे, उनका रजिस्ट्रीकरण अधिकारी द्वारा परीक्षण किया जाएगा और वे नाम जोड़ने या हटाने के संबंध में आदेश जारी करेंगे। प्रारूप प्रकाशन के बाद मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की बैठक मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय में होगी, जिसमें सभी जानकारियां साझा की जाएंगी।
मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का पहला चरण पूरा हो चुका है। अब तक इस प्रक्रिया केवल चुनाव आयोग और उनके बीएलओ की ही भूमिका रही है। मंगलवार को मतदाता सूची के प्रारूप का प्रकाशन होगा। इस दूसरे चरण में राजनीतिक दलों की भूमिका बढ़ गई है। खासतौर से भारतीय जनता पार्टी इस चरण में बूथ स्तर पर सक्रिय भागीदारी निभाएगी। पार्टी की तैयारी है कि किसी भी चुनाव से पहले जिस तरह बूथ में पेज प्रभारी एक-एक मतदाता से संपर्क करते थे, ठीक उसी तरह वे पेज के हर मतदाता की पहचान कर उन नामों पर आपत्ति प्रस्तुत करेंगे, जो फर्जी हैं या 2003 के बाद जोड़े गए हैं और उनका पुराना कोई रिकॉर्ड नहीं है। इसी तरह जिन युवाओं के नाम सूची में शामिल नहीं है, उनके नाम भी सूची में जुड़वाए जाएंगे।
भाजपा ने संगठन के सभी प्रभारी, विधायक और सांसदों को निर्देश दिए हैं कि वे एसआइआर के दूसरे चरण में दावे-आपत्ति और नाम जुड़वाने के काम को सर्वोच्च प्राथमिकता दें। मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) अभियान के दूसरे चरण को भाजपा ने अपनी चुनावी रणनीति का आधार मानकर तैयारियां आरंभ कर दी है। वर्ष 2023 का विधान सभा चुनाव हो या फिर 2024 के लोक सभा चुनाव में जिन-जिन विधान सभा सीटों पर भाजपा को कम वोट मिले थे या जीत का अंतर कम था, ऐसी सीटों को चिन्हित किया गया है। वर्ष 2023 के विधान सभा चुनाव में भाजपा ने 230 सीटों में से 163 सीटों पर विजय प्राप्त की थी। कांग्रेस की 66 सीटें ऐसी हैं, जहां भाजपा ने विशेष रणनीति बनाते हुए हारी हुई सीटों पर सांसदों, विधायकों पदाधिकारियों और मंडल स्तर के जिम्मेदार पदाधिकारियों को एसआइआर के लिए लगाया गया है।
भाजपा ने उन सीटों पर सबसे अधिक फोकस बढ़ाया है, जहां दो हजार से कम अंतर से पार्टी को हार मिली थी। ऐसे क्षेत्रों में मंडल और सेक्टर स्तर पर विशेष बैठकें आयोजित की जा रही हैं। पार्टी ने जिलाध्यक्षों से लेकर पन्ना प्रमुखों तक को लक्ष्य दिया है कि हर पात्र परिवार तक पहुंचकर नए मतदाताओं के नाम जुड़वाएं। पदाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे बूथ स्तर पर निगरानी बढ़ाएं, नए मतदाताओं के पंजीकरण में सक्रिय सहयोग दें और संशोधन फार्मों की त्रुटियां समय रहते ठीक कराएं। पार्टी का मानना है कि आगामी चुनावों में कमजोर सीटों को मजबूत करना ही एसआइआर अभियान की सबसे बड़ी उपलब्धि साबित होगी।
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भारत निर्वाचन आयोग की अपेक्षा एक राजनीतिक दल के नाते भाजपा के बूथ लेबल एजेंट जो है, उसे पूरा करने का प्रयास करेंगे। एसआइआर लोकतंत्र की मजबूती के लिए मतदाता सूची के शुद्धिकरण का अभिनंदनीय कार्य है जिसमें हर नागरिक और राजनीतिक दल को अपना दायित्व निभाना चाहिए। भाजपा ने संसद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चुनाव सुधार पर चर्चा में कांग्रेस के षड्यंत्रों को एक्सपोज कर दिया है। कांग्रेस झूठे आरोपों की घटिया राजनीति करती है।- रजनीश अग्रवाल, प्रदेश सह प्रभारी, एसआइआर
मतदाता सूची के प्रारूप प्रकाशन के बाद एक माह तक दावा-आपत्ति का सिलसिला चलेगा। इसके लिए प्रदेश कांग्रेस ने सभी 1,047 संगठनात्मक ब्लॉक में एक-एक वरिष्ठ नेताओं को उतारने की तैयारी की है। ये पूरे क्षेत्र में एक माह तक सक्रिय रहकर मतदाता सूची के सत्यापन का काम देखेंगे। बूथ स्तर पर कार्यकर्ता मतदाता सूची में दर्ज नाम का सत्यापन करेंगे। इसमें यह देखा जाएगा तो नाम सूची में आए हैं, वह वास्तव में सही हैं या नहीं। वे दर्शाए गए निवास स्थान पर रहते हैं या नहीं। जो नाम काटे गए हैं, वे सही हैं या नहीं। यदि कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो नाम हटाने के लिए बूथ लेवल एजेंट के माध्यम से आपत्ति दर्ज कराएंगे। वहीं, किसी पात्र मतदाता का नाम कट गए हैं तो फिर जुड़वाने के लिए दावा करवाएंगे। इसकी एक रिपोर्ट ब्लाक, विधानसभा, जिला और प्रदेश स्तर पर तैयार होगी।
संगठन महामंत्री संजय कामले का कहना है कि मैदानी स्तर पर हमारी तैयारी हो चुकी है। वरिष्ठ नेताओं के साथ विधायक, पूर्व विधायक, प्रदेश, जिला और ब्लाक पदाधिकारियों के साथ सभी संगठनों के पदाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे एक माह सभी काम छोड़कर एसआइआर के काम में जुट जाएंगे।