-मुल्ला रमूजी संस्कृति भवन में मुलाकात कार्यक्रम में बोली लेखिका राना सफी
भोपाल। नवदुनिया रिपोर्टर
प्रख्यात लेखिका, इतिहासकार, दिल्ली उर्दू अकादमी की सदस्य, ट्विट्र पर 'शेर' प्लेटफार्म की फाउंडर यह परिचय है सुश्री राना सफवी का। राना सफवी वह नाम है, जिन्होंने ट्विटर पर हैशटैग शायरी शुरू की और अब उस रोज 24 घंटे मुशायरा चलता है।
जी हां, राना सफवी ने उर्दू, अनुवाद और नई नस्ल पर बात करते हुए कहा कि करीब 2009 में मैंने ट्विटर ज्वाइन किया ट्विटर पर मैंने हेशटेग शायर शुरू किया, जिस पर 24 घंटे मुशायरा चलता है। इस पर हम रोज एक टॉपिक रखते हैं। उन्होंने आगे कहा कि उर्दू किसी मजहब से नहीं जुड़ी हुई है। उर्दू हिंदुस्तान की पैदाइश है और उर्दू हिंदुस्तान में पली-बढ़ी है।
सुश्री सफवी मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी संस्कृति विभाग के तत्वावधान में शनिवार को मुल्ला रमूजी संस्कृति भवन में आयोजित मुलाकात कार्यक्रम को संबोधित कर रही थी। कार्यक्रम में अकादमी की सचिव डॉ. नुसरत मेहंदी ने अतिथियों का स्वागत कर कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गत वर्ष 18 जनवरी, 2017 को अनुवाद पर कार्यक्रम किया था और एक वादा किया था कि एक दारूल तर्जुमा भी स्थापित किया जाएगा और वह स्थापित कर दिया गया है। साथ ही मुल्ला रमूजी की तीन पुस्तकों के अनुवाद का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है।
आयोजन में साहित्यकार व लेखक संतोष चौबे ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि मैं मध्यप्रदेश का आदमी हूं और हिंदी में लिखता हूं। उर्दू के शब्द स्वाभाविक तरीके से मेरे जुबां पर आते हैं। पिछली बार जो गोष्ठी आयोजित हुई थी, उसमें मैं हाजिर हुआ था और यह तय हुआ था कि हम अनुवाद को लेकर एक केंद्र बनाएंगे, जिसमें सिर्फ उर्दू से ही नहीं, बल्कि सारी जुबानों से भी अनुवाद का काम करेंगे। कार्यक्रम का संचालन इकबाल मसूद ने किया।