नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। जेल और पुलिस अभिरक्षा में बंदी रहे आरोपित मोहसिन की मौत के मामले में जिला न्यायालय भोपाल की तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश प्रीति साल्वे की अदालत ने आठ पुलिसकर्मियों, एक जेलर और एक डॉक्टर की पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए हत्या, साक्ष्य मिटाने और आपराधिक षड्यंत्र जैसे संगीन अपराधों में दर्ज मुकदमे को बरकरार रखा है। अब इन सभी आरोपितो के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए जाएंगे।
बता दें कि पूर्व में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी आशीष मिश्रा की अदालत ने थाना प्रभारी मनीष राज भदौरिया (वर्तमान थानाप्रभारी मिसरोद), जेलर आलोक बाजपेयी, डॉक्टर आरएन साहू (तत्कालीन प्रमुख,मानसिक रोग विभाग,हमीदिया अस्पताल), क्राइम ब्रांच के पुलिसकर्मी एहसान, मुरली, चिरौंजीलाल, दिनेश खजूरिया सहित कुल आठ पुलिसकर्मियों के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र) और 201 (साक्ष्य मिटाना) के तहत मामला दर्ज किया था। इसको लेकर पुनरीक्षण याचिका लगाई गई थी।
मृतक मोहसिन के स्वजनों की ओर से अधिवक्ता यावर ख़ान ने अदालत में कहा कि इस मामले में कुल 14 गवाहों की गवाही हो चुकी है, जिनमें से 10 शासकीय अधिकारी हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से बयान दिया है कि मोहसिन की मौत पुलिस अधिकारियों द्वारा की गई मारपीट से हुई। बता दें कि अदालत ने अपने आदेश में यह भी उल्लेख किया कि थाने और जेल परिसर में हुई गंभीर मारपीट के कारण ही मोहसिन की मौत हुई और आरोपितों ने सीसीटीवी फुटेज को भी जानबूझकर डिलीट कर साक्ष्य मिटाने का प्रयास किया।
इससे पहले भी न्यायिक मजिस्ट्रेट विपिंन्द्र यादव की जांच में उपरोक्त सभी पुलिसकर्मी दोषी पाए गए थे। गौरतलब है कि इन अधिकारियों के खिलाफ पूर्व में तीन बार मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा हत्या का मामला दर्ज किया जा चुका था, लेकिन आरोपित लगातार जिला न्यायालय में रिवीजन याचिका लगाकर गिरफ्तारी से बचते रहे। अब जब जिला अदालत ने भी इनकी सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं, तो अगला कदम गिरफ्तारी वारंट जारी करना होगा।
इसे भी पढ़ें... Sonam Raghuvanshi Case: परिवार को एक और लड़की के शामिल होने का शक, सोनम के भाई को शिलांग पुलिस ने किया तलब