
मुकेश विश्वकर्मा, नईदुनिया, भोपाल। मध्य प्रदेश में कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। यहां हर साल कैंसर के 40 हजार नए मरीज सामने आ रहे हैं। वर्ष 2020 में कैंसर के कुल 77,888 मरीज थे। वहीं 42,966 की इस बीमारी से मौत दर्ज की गई। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम (एनसीआरपी) की रिपोर्ट बताती है कि कैंसर का खतरा पांच वर्ष में 25 से 30 प्रतिशत तक बढ़ गया है। अब सामने आ रहा है कि खेतों में कीटनाशकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से यह बढ़ा है।
मध्य प्रदेश अब देश के कुल कैंसर मरीजों की संख्या वाले शीर्ष 10 राज्यों में शामिल हो गया है। केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, असम, दिल्ली और पंजाब जैसे राज्य इससे ऊपर हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल में मेडिकल आंकोलाजी और हेमेटोलाजी विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. आकांक्षा चौधरी ने बताया कि मालवा और नर्मदापुरम क्षेत्र के किसानों में लंबे समय तक कीटनाशकों और अन्य रसायनों के संपर्क में रहने के कारण कैंसर की आशंका बढ़ी है। एम्स भोपाल इस संबंध में अध्ययन कर रहा है। कीटनाशकों के संपर्क से त्वचा, फेफड़े और रक्त संबंधी कैंसर (ल्यूकेमिया) का खतरा बढ़ने के संकेत मिले हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि मध्य प्रदेश, इंसीडेंस रेट (प्रति एक लाख आबादी पर मरीज) की दृष्टि से 10वें से 12वें स्थान के बीच आता है। आईसीएमआर की रिपोर्ट बताती है कि प्रदेश में पुरुषों में मुंह का कैंसर (16%), फेफड़े का कैंसर (10-12%) और पेट-पाचन तंत्र कैंसर (8-10%) प्रमुख हैं। वहीं महिलाओं में ब्रेस्ट (स्तन) कैंसर (26%), सर्विक्स (17–20%) और ओवेरियन कैंसर (7%) ज्यादा पाए जा रहे हैं। कुल मरीजों में 52 प्रतिशत पुरुष और 48 प्रतिशत महिलाएं हैं।
कीटनाशक तो एक वजह है। कैंसर बढ़ने के प्रमुख कारण खराब जीवनशैली और गलत आदतें हैं। तंबाकू का सेवन अत्यधिक हो रहा है। तंबाकू की पहुंच कुल आबादी के 34.2% लोगों तक और पुरुषों में 50.2% तक है। शराब का सेवन भी कैंसर का जोखिम बढ़ाता है। प्रदेश के 52.5% परिवार पैसिव स्मोकर (बीड़ी-सिगरेट पीने वालों के संपर्क में) हैं। इससे भी कैंसर का खतरा बढ़ता है।
राजधानी में कैंसर का ग्राफ और तेज है। पिछले कुछ वर्षों में हेड-एंड-नेक, ब्रेस्ट और सर्विक्स कैंसर के मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यूनियन कार्बाइड गैस प्रभावित क्षेत्रों से हर माह 70 से 80 नए मरीज सामने आ रहे हैं। सक्रिय मरीजों की संख्या यहां 4000 से अधिक हो चुकी है।
शारीरिक लक्षण
(नोट: इन लक्षणों का दिखना हमेशा कैंसर नहीं होता, लेकिन लक्षण लगातार दो सप्ताह तक बना रहे तो डाक्टर से जांच कराना आवश्यक है।)
समय पर स्क्रीनिंग होने पर कैंसर को शुरुआती दौर में ही पहचाना जा सकता है। प्रदेश में जिला स्तर पर कैंसर रजिस्ट्री को मजबूत किया जा रहा है। - डॉ. अतुल श्रीवास्तव, स्टेट नोडल अधिकारी, मध्य प्रदेश राज्य कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम