मध्यप्रदेश सहकारिता क्षेत्र में जुड़ा नया अध्याय, अमित शाह की मौजूदगी में सांची और NDDB के बीच हुआ MOU
राज्य स्तरीय सहकारी सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने सहकारिता क्षेत्र को मजबूत करने की दिशा में कई अहम घोषणाएं कीं। डेयरी विकास, पैक्स सशक्तिकरण, किसानों की आय वृद्धि और गांव-गांव तक सहकारी सेवाएं पहुंचाने की रूपरेखा तय की गई। कई पैक्स को प्रोजेक्ट ऋण भी स्वीकृत हुए।
Publish Date: Sun, 13 Apr 2025 05:34:55 PM (IST)
Updated Date: Sun, 13 Apr 2025 11:58:48 PM (IST)
एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह का स्वागत किया। (फोटो- सोशल मीडिया)HighLights
- पैक्स को 20 से अधिक सेवाओं से जोड़ा जाएगा।
- मध्यप्रदेश में डेयरी विस्तार की व्यापक योजना बनेगी।
- किसानों की आमदनी सीधे खातों में ट्रांसफर होगी।
भोपाल, नईदुनिया प्रतिनिधि। मध्यप्रदेश में सहकारिता क्षेत्र को सशक्त बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की उपस्थिति में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड, मध्यप्रदेश डेयरी फेडरेशन और दुग्ध संघ के बीच महत्वपूर्ण अनुबंधों का आदान-प्रदान हुआ।
इस मौके पर चिन्हित पैक्स के व्यवसाय विस्तार के लिए प्रोजेक्ट ऋण पत्र वितरित किए गए और किसान क्रेडिट कार्ड का वितरण भी हुआ। सहकारी सम्मेलन में अमित शाह ने सहकारिता आंदोलन को मजबूती देने, डेयरी विस्तार, किसानों की आय बढ़ाने और पैक्स को बहुआयामी सेवाओं से जोड़ने के विजन को साझा किया।
सुपर मार्केट के लिए दिया ऋण
- जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक रतलाम द्वारा पैक्स बांगरोद को धर्मकांटा स्थापना के लिये 15 लाख रूपये का प्रोजेक्ट ऋण वितरण और जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मंडला द्वारा पैक्स मेंहदवानी को कोदो-कुटकी की ग्रेडिंग प्लांट स्थापना के लिये 60 लाख रूपये का प्रोजेक्ट ऋण दिया गया।
- इसी प्रकार राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम द्वारा पैक्स गोगांवा जिला खरगौन को सुपर मार्केट के लिए 120 लाख रूपये का प्रोजेक्ट ऋण पत्र दिया गया।
राज्य स्तरीय सहकारी सम्मेलन में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के उद्बोधन के प्रमुख बिन्दु
- मध्यप्रदेश में कृषि, पशुपालन और सहकारिता तीनों क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। हमें इनका शत प्रतिशत दोहन करने के लिए बहुत कार्य करने की आवश्यकता है।
- सालों से देश में सहकारी आंदोलन सुस्त पड़ गया था। देश के अलग-अलग राज्यों में सहकारी आंदोलन की स्थिति अलग थी। इसे समृद्ध करने और देश की बदलती हुई परिस्थिति के अनुकूल कानून बदलने के निर्णय नहीं लिए गए।
- राज्यों में कृषि, पशुपालन और सहकारिता को बढ़ाने का कोई विजन नहीं था। लेकिन देश के दूरदर्शी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के 75 साल बाद पहली बार सहकारिता मंत्रालय बनाया और इसका पहला मंत्री होने के नाते हमने बीते साढे तीन साल में इस क्षेत्र में बड़े बदलाव किए।
- सहकारिता मंत्रालय ने अपना पहला काम किया- कृषि समितियों के लिए आदर्श बायलॉज बनाए और इन्हें राज्यों को भेजा। आज संपूर्ण भारत ने इस मॉडल बायलॉज को स्वीकार कर लिया है। जब आपकी नीयत ठीक हो तो नजीते भी अनुकूल आते हैं।
- पहले छोटे-मोटे फाइनेंस के कार्य करने वाले पैक्स अब 20 से ज्यादा कार्य कर रहे हैं। पैक्स जल वितरण और सीएससी का कार्य भी करेंगे। 300 से ज्यादा योजनाएं पैक्स के माध्यम से संचालित हो रही हैं। यहां से रेलवे टिकट, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र तक मिल जाता है।
पैक्स अब पेट्रोल पंप संचालन, दवाई की दुकान भी चलाएगा। मध्य प्रदेश ने पैक्स के कंप्युटीराइजेशन में पहला स्थान हासिल किया है। पैक्स संचालन में पादर्शिता बरती जा रही है। किसानों की भाषा के अनुरूप पैक्स में विशेष सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है।
किसानों के लिए तीन समितियां बनाई गई हैं। आर्गेनिक प्रोडक्ट्स के लिए भी प्लेटफॉर्म बनाया है। केंद्र सरकार ने बीज सहकारिता के अंतर्गत ढाई एकड़ वाले किसान को भी मान्यता दी है। बीज और दूध सहकारिता से होने वाली आय सीधे किसानों के खाते में आएगी।
मध्यप्रदेश में प्रति वर्ष साढ़े 5 करोड़ लीटर की दूध उत्पादन क्षमता है, जो देश का 9 प्रतिशत है। यहां के किसानों को सहकारी डेयरी के साथ जोड़ना है। खुले बाजार में दूध बेचने पर उनका शोषण है। दूध का उत्पादन बढ़ाना है।
पशुओं की नस्ल सुधारना है, दूध उत्पाद तैयार करना है। ये सभी काम मध्यप्रदेश को करना है। प्रदेश के केवल 17 प्रतिशत गांवों में ही दूध कलेक्शन की व्यवस्था है। आज के अनुबंध के बाद प्रदेश के 83 प्रतिशत गांवों तक सहकारिता की पहुंच बढ़ेगी।
पहले साल इसे 50 प्रतिशत पहुंचाने का लक्ष्य रखना चाहिए। अभी तो राज्य में सिर्फ 7 हजार दूध समितियां हैं। देश में दूध की शहरी मांग 1 करोड़ 20 लाख लीटर प्रति दिन है।
मध्यप्रदेश सरकार को अपने लक्ष्य नए सिरे से तय करने चाहिए। गांवों की संख्या बढ़ानी चाहिए। एनबीडीडी के साथ मिलकर पहले वर्ष में कम से कम 50 प्रतिशत गांवों तक दूध डेयरी को विस्तारित करना चाहिए। यह रास्ता अभी टू लेन है, इसे 6 लेन बनाना है।