New Research in AIIMS Bhopal: सीने की हड्डी के सीटी स्कैन से पता कर सकते हैं महिला है या पुरुष
देश में पहली बार एम्स भोपाल के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग में हुआ शोध। इसके मुताबिक स्टर्नम के जरिए 80 फीसद तक सही जेंडर आइडेंटिटी संभव।
By Ravindra Soni
Edited By: Ravindra Soni
Publish Date: Fri, 06 Aug 2021 08:46:12 AM (IST)
Updated Date: Fri, 06 Aug 2021 08:46:12 AM (IST)

भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। कई बार हत्या या दुर्घटनाओं में मृत व्यक्ति का कंकाल भी इतना क्षतिग्रस्त हालत में मिलता है कि यह पता नहीं चल पाता कि मृतक महिला है या पुरुष। एम्स भोपाल के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग में हुए एक शोध में सामने आया है कि दोनों तरफ की पसलियों को जोड़ने वाली सीने के बीच की हड्डी (स्टर्नम) के सीटी स्कैन से पता किया जा सकता है कि हड्डी महिला की है या पुरुष की। देश में पहली बार इस तरह का शोध किया गया है। एम्स भोपाल में फॉरेंसिक मेडिसिन के पीजी छात्र डॉ. श्रावण जेएस ने 2018 से 2020 तक यह अध्ययन किया है। उन्होंने विभाग की एचओडी डॉ. अरनीत अरोरा के मार्गदर्शन में यह शोध किया।
डॉ. श्रावण ने बताया कि रेडियोडायग्नोसिस विभाग से 250 लोगों का सीटी स्कैन लिया गया था। सीटी स्कैन को थ्रीडी मॉडल के तौर पर देखा गया। इसमें स्टर्नम की माप की गई। इममें यह सामने आया कि महिलाओं की स्टर्नम पुरुषों के मुकाबले चौड़ी और छोटी होती है, जबकि पुरुषों की लंबी होती है। शोध में 25 साल से ऊपर के लोगों का सीटी स्कैन लिया गया था, क्योंकि इस उम्र तक हड्डियां पूरी तरह से विकसित हो चुकी होती हैं। इस तकनीक से शोध के अनुसार सही नतीजे आने की उम्मीद 80 फीसद तक रहेगी। 20 फीसद मामलों में अपवाद के तौर पर नतीजे शोध से परे हो सकते हैं।
अभी खोपड़ी या पेल्विक बोन से पता करते हैं
कंकाल में खोपड़ी या पेल्विक बोन (कूल्हे की हड्डी) हड्डी से यह पता किया जाता है कि यह पुरुष की है या महिला की। डॉ. श्रावण ने बताया कि कुछ देशों में स्टर्नम से महिला या पुरुष की पहचान सीटी स्कैन से करने के आधार पर शोध हुए हैं, लेकिन वह भारत के संबंध में प्रासंगिक नहीं हो सकते। वजह, दूसरे देश के लोगों के स्ट्रक्चर अलग होते हैं।