Coronavirus Bhopal News : भोपाल। नवदुनिया प्रतिनिधि। जिस पायल का कोरोना संदिग्ध समझकर 12 घंटे तक इलाज किया गया, उसकी छठवे दिन मंगलवार को मौत हो गई है। वह हमीदिया अस्पताल में वेंटिलेटर पर थी। उसी अस्पताल में पायल की छोटी बहन सोहानी ने भी गुरुवर को दम तोड़ दिया था। छह दिन के भीतर दो बेटियों की मौत से पूरा परिवार सदमे में हैं।
बता दें कि राजधानी के छोला रोड निवासी नरेंद्र गहलोत ने अपनी बड़ी बेटी पायल और छोटी बेटी सोहानी को सिर व पेट दर्द की शिकायत होने पर गुरुवार सुबह 9 बजे हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया था। नरेंद्र गहलोत के मुताबिक दोनों को पहले जनरल वार्ड में भर्ती किया था, तब दोनों ठीक थी। केवल सिर व पेट दर्द हो रहा था।
डॉक्टरों ने पायल को कोरोना संदिग्ध बताया था और अलग भर्ती कर इलाज चालू किया था। उसी दिन छोटी बेटी सोहानी की शाम को मौत हो गई थी। सोहानी 16 साल की थी। तब भी नरेंद्र गहलोत ने बेटी के इलाज में लापरवाही के आरोप लगाए थे।
दूसरे दिन शुक्रवार सुबह पायल की रिपोर्ट कोरोना निगेटिव आई थी, तब तक उसकी हालत भी बिगड़ गई थी और वह वेंटिलेटर पर चली गई थी। उसके बाद नरेंद्र गहलोत ने फिर लापरवाही के आरोप लगाए थे। हमीदिया अस्पताल प्रबंधन व कमिश्नर ने सोहानी की मौत की जांच के आदेश भी दिए थे, इस बीच पायल ने भी दम तोड़ दिया है। मौत की पुष्टि हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक डॉ. आईडी चौरसिया ने की है।
आपबीती- अस्पताल नहीं मौत का ठिकाना है हमीदिया
अस्पताल से लोग ठीक होकर लौटते हैं, मैं अपनी दोनो बेटियों को गंवाकर लौट रहा हूं। मेरे जीवन में इससे बुरे दिन नहीं हो सकते। किसी को तो मेरी बेटियों की चिंता होती, कहीं से तो मदद मिल जाती। ये कैसा पत्थर दिल प्रशासन है, जो मेरी दो में से एक भी बेटी को नहीं बचा पाया। लोग डॉक्टरों को भगवान का दर्जा देते हैं, मैं हमीदिया अस्पताल के डॉक्टरों को जीवन भर इस बात के लिए जानूंगा कि इन्होंने मेरी बेटियों को नहीं बचाया। ईश्वर मेरी बेटियों का सही समय पर सही इलाज नहीं देने वालों को कभी माफ नहीं करेगा। दूसरों के लिए हमीदिया भले ही अस्पताल हो, लेकिन मेरे लिए तो मौत का ठिकाना है, जो मुझे मरते दम तक याद रहेगा।
- नरेंद्र गहलोत, मृतक पायल के पिता