OBC Leaders: धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। मोदी सरकार द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण (संशोधन) विधेयक संसद के दोनों सदनों से पारित कराने के बाद से इस पर सियासत जारी है। मध्य प्रदेश में भाजपा के मुकाबले कांग्रेस कमजोर पड़ती जा रही है। यहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद ओबीसी से आते हैं, तो उनकी 31 सदस्यीय कैबिनेट में 10 मंत्री ओबीसी से हैं, जबकि कमल नाथ सरकार की 29 सदस्यीय कैबिनेट में ये आंकड़ा सात था। केंद्र में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ओबीसी से हैं, उनकी कैबिनेट में 27 मंत्री इसी वर्ग से आते हैं।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के साथ मुश्किल है कि उसके पास ओबीसी वर्ग से गिने-चुने चेहरे हैं, लेकिन आपसी खींचतान में वह संगठन में ही अस्तित्व का संघर्ष करते नजर आ रहे हैं। प्रदेश की सियासत में अब जातिगत समीकरणों से सत्ता हासिल करने की प्रवृत्ति देखी जा रही है। तीसरे दल की मौजूदगी न होने से भाजपा-कांग्रेस धर्म, जाति और वर्ग आधारित वोट बैंक मजबूत करने की कोशिश कर रही हैं। प्रदेश की कुल आबादी में ओबीसी में शामिल विभिन्न् जातियों की हिस्सेदारी 50 फीसद से अधिक बताई जाती है।
इसे लेकर खींचतान शुरू हो गई है, जिसे आरक्षण की सीमा 14 से बढ़ाकर 27 फीसद करने के मामले ने गति दी है। कमल नाथ सरकार ने ओबीसी का आरक्षण बढ़ाकर 27 फीसद करने का निर्णय लिया था, जिसे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। सुनवाई के बीच शिवराज सिंह ने चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अब एक सितंबर को आरक्षण को लेकर फैसला आना है, तो इसके श्रेय और आरोप-प्रत्यारोप की शुरुआत हो गई है।
उपेक्षा के कारण नाराजगी जता चुके हैं अरुण यादव, कुछ अन्य नेता भी हाशिए पर
संगठन के स्तर पर भी देखें तो कांग्रेस में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ओबीसी से आते हैं, लेकिन उपेक्षा से कई बार नाराजगी जता चुके हैं। पूर्व मंत्री जीतू पटवारी भी पार्टी में हाशिए पर हैं। सचिन यादव, हर्ष यादव, कमलेश्वर पटेल, सुखदेव पांसे जैसे पूर्व मंत्री भी सियासी परिदृश्य में कमजोर दिखते हैं। बीते दिनों प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष पद पर अर्चना जायसवाल की नियुक्ति भी अरुण यादव और जीतू पटवारी की लकीर छोटी करने की कवायद मानी गई थी। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि कमल नाथ और दिग्विजय सिंह प्रभावी नेता हैं। दोनों के बेटों की सियासी पारी शुरुआती दौर में है, जिसे अधिक आसान बनाने की कोशिशों का नतीजा है कि कांग्रेस में कई दिग्गज युवा नेताओं के पास अवसर की कमी है। इसके विपरीत भाजपा में पिछड़ा वर्ग के नेताओं की कतार है। सीएम शिवराज के साथ नगरीय विकास और आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह सहित कई दिग्गज मंत्री ओबीसी के बीच पैठ मजबूत करने में लगे हैं।
भाजपा में ओबीसी नेताओं की संख्या अधिक जरूर है पर वे नीतिगत व अन्य कारणों से उपेक्षित हैं। कांग्रेस में ओबीसी नेता मैदान संभाल रहे हैं। यही दोनों पार्टी में मूल अंतर है। - केके मिश्रा, महासचिव (मीडिया) प्रदेश कांग्रेस कमेटी
संगठन में मंडल से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक और पंच, पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक भाजपा के पास पिछड़ा वर्ग का सशक्त नेतृत्व है। कांग्रेस ने सरकार में तो दूर संगठन में भी पिछड़ा वर्ग को स्थान व सम्मान भी नहीं दिया। अपमान व भेदभाव के उदाहरण जरूर हैं। - रजनीश अग्रवाल, प्रदेश मंत्री, मप्र भाजपा