Office Office Column Navdunia Bhopal: वैभव श्रीधर
लोकप्रिय होने के अपने नुकसान भी होते हैं। यह लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव और उनके स्टाफ से बेहतर कोई नहीं समझ सकता है। पिछले दिनों इंटरनेट मीडिया पर सूचना आई कि भार्गव अस्वस्थ हैं और अस्पताल में भर्ती हैं। खबर आग की तरह फैली और भोपाल स्थित कार्यालय के फोन घनघनाने लगे। भाजपा नेताओं से लेकर अधिकारियों तक ने स्थिति का पता लगाने के लिए संपर्क किया। हालांकि, ऐसा कुछ नहीं था इसलिए कार्यालय में जानकारी भी नहीं थी पर एक सवाल तो उठ ही गया था। लिहाजा, समाधान भी जरूरी था। टीम पड़ताल में जुटी तो पता लगा कि छतरपुर जिला अस्पताल में गोपाल भार्गव नाम का व्यक्ति भर्ती हुआ था। राजभवन से उनके शुभचिंतक ने इलाज के लिए फोन भी किया था। हालांकि, मंत्री गोपाल भार्गव से उनका कोई लेना-देना नहीं है पर इस घटना से यह साफ हो
जान है तो जहान है
कोरोना संक्रमण की यह लहर किसी बड़े संकट से कम नहीं है। सामाजिक, आर्थिक से लेकर ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जो इससे अछूता न हो। यही वजह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बार-बार कह रहे हैं कि जान है तो जहान है। संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए लोग अपनी जान की चिंता करें और घर से अनावश्यक बाहर न निकलें जहान की चिंता हम कर रहे हैं। यही बात मंत्रालय के अधिकांश कर्मचारी भी दोहरा रहे हैं। हालांकि, उनका मंतव्य साफ है कि जब तक संक्रमण थम नहीं जाता है, तब तक कार्यालयों को बंद कर दिया जाए। अधिकारी भी वे ही आएं, जिनके बगैर काम नहीं चल सकता है। कर्मचारी संघ की इस मांग को कनिष्ठ अधिकारियों का मौन समर्थन हासिल है कि क्योंकि जान है तो ही जहान है। दरअसल, सामान्य प्रशासन विभाग ने अधिकारियों को कोई छूट नहीं दी है। उन्हें मंत्रालय आना ही है।
विदाई तो सम्मानजनक हो
कर्मचारी हो या फिर अधिकारी, सभी यह चाहते हैं कि उनकी विदाई सम्मानजनक तरीके से हो यानी सेवानिवृत्ति। इसके लिए अधिकारी सेवानिवृत्ति से चार-पांच माह पहले ऐसी जगह पदस्थापना ले लेते हैं जहां सुकून से रिकॉर्ड तैयार करवा सके पर कुछ को इसका मौका ही नहीं मिल रहा है। दरअसल, इनकी पदस्थापना जल्दी-जल्दी बदल रही है। ऐसे में गोपनीय चरित्रावली कौन लिखेगा और अंतिम वेतन कहां से बने, उन्हें यह चिंता सता रही है। बात सही भी है क्योंकि पेंशन प्रकरण बनवाने के लिए अभी भी काफी पसीना बहाना पड़ता है। यही वजह है कि मंत्रालय में पदस्थापना के इंतजार में बैठे एक वरिष्ठ अधिकारी ने उन बाबुओं से सहायता मांगी है जिन्हें इन कामों में महारत हासिल है। दरअसल, अधिकारी अच्छी तरह से जानते हैं कि सेवानिवृत्त होने पर वे कर्मचारी भी बेगाने हो जाते हैं, जिन्हें अपना होने का दंभ भरा जाता है।
संयोग या कुछ और
चाहे-अनचाहे पर संयोग कुछ ऐसे बन रहे हैं कि लोक निर्माण विभाग कुछ समय से चर्चाओं में है। पहले तबादलों को लेकर फाइलें अटकी थीं। जब तबादले हुए और काम थोड़ा पटरी पर आया तो प्रमुख अभियंता को हटा दिया गया। हालांकि, उनका कसूर क्या था, यह अभी भी रहस्य बना हुआ है। खैर, नया प्रमुख अभियंता नियुक्त हो पाता इसके पहले राज्य सड़क विकास निगम के प्रबंध संचालक श्रीमन शुक्ला को हटा दिया गया। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नाराजगी की गाज उन पर गिरी है। दरअसल, निगम को 13 जिला अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना का काम करना है पर इनकी गति बेहद धीमी है। उधर, विभाग में हो रहे इन घटनाक्रमों के पीछे किसी अपने का ही हाथ माना जा रहा है क्योंकि फाइल चलती कुछ है और हो कुछ जाता है। हालांकि, वो कौन है, इसकी खोज शुरू हो गई है।