Pitru Paksha 2023 : भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। शुक्रवार से श्राद्ध पक्ष शुरू हो गया। 16 श्राद्ध के पहले दिन सुबह से राजधानी के विभिन्न सरोवरों पर बड़ी संख्या में लोग पितरों को जल अर्पण करने के लिए पहुंच गए थे। बड़ा तालाब पर कमला पार्क के सामने शीतलदास की बगिया घाट, फतेहगढ़ फायर ब्रिगेड के पीछे बने शीतला माता घाट। छोटे तालाब पर बने शहर के एक मात्र दक्षिणमुखी गिन्नौरी घाट, खटलापुरा घाट, हथाईखेड़ा डैम का घाट आदि पर पंडितों के सान्निध्य में लोगों ने तर्पण किया।
चार पीढिय़ों से करा रहे तर्पण
दक्षिणमुखी गिन्नौरी घाट पर मार्केण्डेय महाराज का परिवार चार पीढ़ियों से विधि विधान से श्राद्ध का तर्पण करा रहा है। आचार्य ने बताया कि पिंडदान ओर ब्राह्मण भोज सामान्य श्राद्ध की दो प्रक्रिया है। श्रद्धा से ही श्राद्ध शब्द की निष्पत्ति होती है अर्थात अपने मृत पितृगण के उद्देश्य से श्रद्धा पूर्वक किया जाने वाले कर्म विशेष को श्राद्ध शब्द के नाम से जाना जाता है। इसे पितृयज्ञ भी कहते है जिसका वर्णन मनुस्मृति आदि धर्म शास्त्रों, पुराणों तथा वीर मित्रोदय आदि अनेक ग्रंथो में प्राप्त होता है।
पितरों की सद्गति, विष्णु लोक की प्राप्ति के लिए करें श्राद्ध
पंडित विष्णु राजौरिया ने बताया कि 29 सितंबर से पितरों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान आदि कार्य आरंभ हुए हैं, जो 16 दिन तक लगातार चलेंगे। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से प्रोष्ठपदी महालय श्राद्ध का आरंभ हो जाता है। इस बार महालय श्राद्ध का आरंभ 29 सितंबर को शुक्रवार के दिन उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र, वृद्धि योग, बवकरण, मीन राशि के चंद्रमा की साक्षी में आरंभ हुआ। श्राद्ध पक्ष पूरे 16 दिन के रहेंगे। हालांकि कुछ पंचांगों में चतुर्थी तिथि का क्षय बताया है, किंतु तृतीया और चतुर्थी का अलग-अलग गणित धर्मशास्त्र में बताया गया है, इस दृष्टि से नियत समय पर श्राद्ध अवश्य करें।
कौन से दिन कौन सा श्राद्ध
30 सितंबर शनिवार प्रतिपदा का श्राद्ध
एक अक्टूबर रविवार द्वितीय का श्राद्ध
दो अक्टूबर को तृतीया का श्राद्ध कुतुप काल (दिन में 12:30 बजे बाद) के दूसरे भाग में चतुर्थी का श्राद्ध किया जा सकता है
तीन अक्टूबर मंगलवार पंचमी का श्राद्ध
चार अक्टूबर बुधवार षष्ठी का श्राद्ध
पांच अक्टूबर गुरुवार सप्तमी का साथ श्राद्ध
छह अक्टूबर शुक्रवार अष्टमी का श्राद्ध
सात अक्टूबर शनिवार नवमी एवं सौभाग्यवतियों का श्राद्ध
आठ अक्टूबर रविवार दशमी का श्राद्ध
नौ अक्टूबर सोमवार एकादशी का श्राद्ध
10 अक्टूबर मंगलवार एकोद्दिष्ट श्राद्ध, मघा श्राद्ध
11 अक्टूबर बुधवार द्वादशी का श्राद्ध संन्यासियों का श्राद्ध व प्रदोष
12 अक्टूबर गुरुवार त्रयोदशी
13 अक्टूबर शुक्रवार चतुर्दशी का श्राद्ध (शस्त्र, अग्नि या विष से दग्ध हुए का)
14 अक्टूबर शनिवार सर्वपितृ अमावस्या का श्राद्ध (शनिश्चरी अमावस्या भी इसी दिन)