Bhopal Arts and culture News: वसंत ऋतु के स्वागत में बह उठी काव्य-गंगा
हिंदी भवन में हुआ काव्य गोष्ठी का आयोजन। गोष्ठी में लगभग 25 रचनाकारों ने वसंत ऋतु पर आधारित रचनाएं प्रस्तुत कीं।
By Ravindra Soni
Edited By: Ravindra Soni
Publish Date: Sun, 28 Feb 2021 03:35:21 PM (IST)
Updated Date: Sun, 28 Feb 2021 03:35:21 PM (IST)

भोपाल (नवदुनिया रिपोर्टर)। साहित्यिक संस्था कला मंदिर की मासिक काव्य गोष्ठी हिंदी भवन के नरेश मेहता कक्ष में आयोजित की गई। गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. गौरी शंकर शर्मा 'गौरीश" ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में आयुर्वेदाचार्य चंद्रशेखर तिवारी तथा सारस्वत अतिथि के रूप में मंच पर अशोक कुमार धमेनियां उपस्थित रहे। कवि गोष्ठी का संचालन युगेश शर्मा ने किया। गोष्ठी में लगभग 25 रचनाकारों ने वसंत ऋतु पर आधारित रचनाएं प्रस्तुत कीं। डॉ. गौरी शंकर शर्मा 'गौरीश" ने 'थे कल तक जे-जे हरे सब संत हो गए, कलुश झरे पात सब अब ज्वलंत हो गए..., अशोक कुमार धमेनियां ने घनाक्षरी छंद- केसर की क्यारी वहां, केसर खुशबू यहां... और चंद्रशेखर तिवारी ने आज बसंत की सांझ गमन की बात न करना... कविता सुनाई।
पाखी देखो चहक रहे हैं...
काव्य गोष्ठी को आगे बढ़ाते हुए कर्नल गिरजेश सक्सेना ने 'अदालत में रेप केस' पर रचना पढ़ी, वहीं सुरेश पटवा ने 'हे कामना तुम एक पहेली अनादि अनंत मनभावन लुभावन...', हरिवल्लभ शर्मा 'हरि' ने धड़कते दिल मुसलसल हो रवानी हो शिराओं में... गजल प्रस्तुत की। डॉ. लता ने स्वरांजलि- प्रीति जब अनंत हो गई..., जया आर्य ने पाखी देखो चहक रहे हैं..., डॉ. मयंक शर्मा ने तकलीफों का अंत जब आ जाता है... रचना सुनाई। इसके अलावा एसके दीवान, प्रमिला झरबड़े, सुनीता शर्मा, दुर्गा रानी श्रीवास्तव, मीना श्रीवास्तव, रजनी सक्सेना, सुषमा श्रीवास्तव, सुरेश पटवा, चरणजीत सिंह कुकरेजा आदि कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कर श्रोताओं की वाहवाही लूटी। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद थे। अंत में डॉ. गौरीशंकर शर्मा 'गौरीश" ने समीक्षा वक्तव्य दिया और संचालक युगेश शर्मा द्वारा आभार व्यक्त किया गया।