
नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। भारतीय रेलवे नए साल में यात्रियों के सफर का स्वाद बदलने जा रहा है। अब ट्रेन में सफर के दौरान वही सीमित मेन्यू-दाल, चावल, रोटी या बिरयानी-खाकर ऊब चुके यात्रियों को राहत मिलने वाली है। इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) अपने अगले कैटरिंग टेंडर के जरिए ट्रेनों में ‘रीजनल फूड’ यानी क्षेत्रीय व्यंजन परोसने की योजना को लागू करने जा रहा है। इसका मतलब यह कि ट्रेन जिस राज्य या क्षेत्र से गुजरेगी, वहां के प्रसिद्ध स्थानीय व्यंजन यात्रियों की थाली तक पहुंचेंगे।
रेलवे बोर्ड से जुड़े सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2026 के लिए प्रस्तावित नए टेंडर में इस योजना को प्राथमिकता दी जाएगी। टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद चरणबद्ध तरीके से इसे प्रमुख ट्रेनों में लागू किया जाएगा। इसका उद्देश्य यात्रियों को बेहतर स्वाद, ताजा भोजन और सांस्कृतिक अनुभव देना है।
नई व्यवस्था के तहत ट्रेन के रूट को ध्यान में रखते हुए खानपान तय किया जाएगा। मध्यप्रदेश से गुजरने वाली ट्रेनों में नाश्ते में इंदौरी/भोपाली पोहा-जलेबी, भुट्टे का कीस और भोजन में सेव-टमाटर जैसे विकल्प मिल सकते हैं।बिहार में लिट्टी-चोखा को मेन्यू में शामिल करने की तैयारी है। गुजरात में ढोकला और फाफड़ा, पंजाब में सरसों का साग-मक्के की रोटी, महाराष्ट्र में झुनका-भाकर और पूरन पोली,जबकि दक्षिण भारत की ओर जाने वाली ट्रेनों में इडली, डोसा, वड़ा और फिल्टर कॉफी को प्राथमिकता दी जाएगी। इस तरह यात्रियों को सफर के दौरान अलग-अलग राज्यों के पारंपरिक स्वाद चखने का मौका मिलेगा।
रेलवे इस योजना को ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान से भी जोड़ रहा है। आईआरसीटीसी न केवल पेंट्री कार के जरिए, बल्कि स्टेशनों पर मौजूद स्थानीय प्रसिद्ध होटलों, फूड वेंडर्स और महिला स्वयं सहायता समूहों के साथ भी टाई-अप करेगा। इससे यात्रियों को ताजा और प्रामाणिक भोजन मिलेगा और साथ ही स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
फिलहाल कई ट्रेनों में ई-कैटरिंग के जरिए खाना मंगाने की सुविधा है, लेकिन इस नई योजना में रीजनल फूड को सामान्य मेन्यू का हिस्सा बनाने की तैयारी है। इससे उन यात्रियों को भी फायदा मिलेगा, जो मोबाइल ऐप या ऑनलाइन ऑर्डर का इस्तेमाल नहीं करते।
एक जैसे खाने से मिलेगी राहत।
ताजा और स्थानीय स्वाद का अनुभव।
भोजन की गुणवत्ता और विविधता में सुधार।
स्थानीय संस्कृति से जुड़ाव
रेलवे अधिकारियों का मानना है कि यह बदलाव सिर्फ खानपान तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह रेल यात्रा के अनुभव को और समृद्ध बनाएगा। अगर सब कुछ योजना के अनुसार रहा, तो आने वाले साल में ट्रेन का सफर सिर्फ मंजिल तक पहुंचने का जरिया नहीं, बल्कि भारत के स्वादों की यात्रा भी बन जाएगा।