राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। भोज मुक्त विश्वविद्यालय में वर्ष 2013-14 में 66 पदों पर अवैध नियुक्तियां और नियमितीकरण के आरोप में मप्र आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने एफआइआर कायम की है। इसमें तत्कालीन निदेशक प्रवीण जैन और अन्य अधिकारी-कर्मचारियों को आरोपित बनाया गया है। इन पर धोखाधड़ी, आपराधिक षड्यंत्र और भ्रष्टाचार के आरोप एफआईआर दर्ज की गई है।
चौंकाने वाली बात यह है कि तत्कालीन निदेशक प्रवीण जैन को दो दिन प्रभारी कुल सचिव बनाया गया था, तभी उन्होंने नियुक्तियां और नियमितीकरण कर डाला। सागर के रहने वाले सुधाकर सिंह राजपूत की शिकायत की जांच के बाद ईओडब्ल्यू ने अब प्रकरण पंजीबद्ध किया है। उन्होंने 25 फरवरी 2020 को आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ भोपाल में शिकायत की थी। यानी छह वर्ष बाद मामला दर्ज किया गया है।
शिकायत की जांच में सामने आया कि वर्ष 2013–14 में भोज मुक्त विश्वविद्यालय में कुलसचिव की अनुपस्थिति के दौरान निदेशक प्रवीण जैन को दो बार (एक अक्टूबर 2013 और 27 नवंबर 2014) एक-एक दिन के लिए कुलसचिव का अस्थायी प्रभार दिया गया।
शासन के आदेशानुसार इस प्रकार का प्रभार निदेशक जैसे शैक्षणिक पदाधिकारी को देना नियम विरुद्ध था। बावजूद इसके, प्रवीण जैन ने इस अल्पकालिक प्रभार का दुरुपयोग करते हुए कुल 66 कर्मचारियों की नियुक्ति व नियमितीकरण कर दिया।
इनमें कंप्यूटर आपरेटर, लिपिक, भृत्य, वाहन चालक, तकनीकी स्टाफ, सहायक प्राध्यापक, स्टेनोग्राफर आदि शामिल हैं। जांच में पता चला है कि नियुक्तियां शासन की स्वीकृति, पद सृजन, रोस्टर पालन, आरक्षण नीति, तथा वैधानिक प्रक्रिया जैसे आवेदन, चयन, मूल्यांकन आदि के बिना की गईं।
पांच अक्टूबर 2013 को उच्च शिक्षा विभाग ने आदेश जारी कर विश्वविद्यालय को स्पष्ट निर्देशित किया था कि यदि कोई नियमितीकरण किया गया हो तो उसे तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए। इसके बाद भी नियुक्तियां यथावत रहीं।