भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। ट्रैक के किनारे, स्टेशन परिसर और खाली जमीन पर रेलवे बड़े पैमाने पर पौधे लगाएगा। इस योजना पर रेलवे ने सभी मंडलों में काम शुरू कर दिया है जो पौधे पहले से लगाए हैं और पेड़ बन चुके है उनके संरक्षण में कसावट लाई जाएगी। दरअसल, रेलवे बोर्ड ने सभी रेल मंडलों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति गंभीर रहने और ठोस योजना बनाकर काम करने के निर्देश दिए है। बोर्ड द्वारा जोन व रेल मंडलों द्वारा किए जा रहे कामों की समीक्षा भी की जा रही है। रेलवे का फोकस ट्रेनों को चलाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण पर पहले से बढ़ गया है। बोर्ड के निर्देश के अनुसार सभी मंडलों को पर्यावरण संरक्षण में उत्कृष्ट प्रदर्शन करन है।
भोपाल रेल मंडल ने बीते समय में बेहतर काम किया है। इसी का नतीजा है कि रेलवे ट्रैक, रेलवे कालोनी, रेलवे स्टेशन, समपार फाटक के आसपास और रेलवे कार्यालयों में हरियाली ठीक ठाक है। रेलवे ने बीते समय में पर्यावरण संरक्षण के लिए डैम का भी निर्माण कराया है। हालांकि बीते कुछ दिनों से इन कामों में रेलवे की गंभीरता कम देखी जा रही है।
भोपाल रेल मंडल ने पर्यावरण संरक्षण के लिए यह प्रयास किए
-भोपाल, संत हिरदाराम नगर, इटारसी, हरदा, बानापुरा, होशंगाबाद, मिसरोद,सलामतपुर, सांची, विदिशा,पबई, बीना, गुना, शिवपुरी आदि स्टेशनों के पास तथा रेलवे कालोनियों में खाली पड़ी जमीनों पर और पटरियों के किनारे पौधे लगाए हैं।
- बीना से भोपाल और इटारसी तक रेलवे ट्रैक के साथ पूरा खंड होली के अवसर पर पारंपरिक रूप से प्राकृतिक रंगों के लिए उपयोग किए जाने वाले फूलों से आकर्षक बना रहता है। इन रेलखंडों में ट्रैकमेन को कासमास प्लांटेशन को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया गया है जो मवेशियों को पटरियों से दूर रखने में भी मदद कर रहे हैं।
- कालोनियों में पार्क विकसित किए गए हैं, जिनमें छायादार पेड़ जैसे पीपल, बरगद, नीम, कुसुम, जामुन आदि के पौधों का रोपन किया है।
- इटारसी, बीना और भोपाल में वर्मी-कम्पोस्टिंग प्लांट भी स्थापित किए गए हैं, जहां बड़े पैमाने पर बायो-डिग्रेडेबल किचन वेस्ट उत्पन्न होता है।
- भोपाल, शिवपुरी एवं पनिहार में रेलवे स्टेशनों पर हाइब्रिड (सौर तथा वायु ऊर्जा) बिजली संयंत्र स्थापित किया है, जहां प्रचुर मात्रा में सौर और पवन ऊर्जा उपलब्ध है। बीना में एक बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र और रेलवे भवनों के ऊपर कई छत वाले छोटे पैनल स्थापित किए गए हैं।
- भोपाल रेल मंडल को प्राप्त 590 डिब्बों में जैव शौचालय लगा दिए गए हैं। भारतीय रेल नें मौजूदा बायो टायलेट सिस्टम को वैक्यूम फ्लशिंग सिस्टम टायलेट (बायो- वैक्यूम टॉयलेट) के साथ और उन्नत करने की योजना बनाई है।
- रेलवे ने तालाबों का निर्माण किया है। रेलवे ने ऐसे 18 तालाब बनाए है। जिनमें लगभग 100 मिलियन लीटर पानी भंडारण की क्षमता है।