भोपाल। मप्र भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) ने दीपमाला इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि. (गैमन) के सृष्टि सीबीडी प्रोजेक्ट का पंजीयन निरस्त कर दिया है। अब इसका अधूरा काम दूसरी सरकारी एजेंसी पूरा करेगी। रेरा ने शासन को सुझाव दिया है कि हाउसिंग बोर्ड द्वारा अधूरे काम को पूरा किया जाए। इस संबंध में निर्णय शासन को लेना है। यह प्रोजेक्ट जिस भूमि पर प्रस्तावित है, वह सरकार की है और शासन की ओर से जमीन कंपनी को लीज पर दी गई थी।
टीएंडसीपी की ओर से विकास अनुज्ञा मप्र गृह निर्माण मंडल को दी गई है। प्रोजेक्ट के लिए हाउसिंग बोर्ड नोडल व प्रोजेक्ट मैनेजमेंट एजेंसी है। बता दें कि रेरा प्राधिकरण द्वारा परियोजना पंजीकरण के आदेश में शर्तों का पालन न करने पर प्रोजेक्ट का पंजीयन मई 2019 में निलंबित किया गया था। कंपनी ने निलंबन के बाद भी शर्तों को पूरा नहीं किया। इसके चलते अब इसका पंजीयन निरस्त कर दिया है। रेरा ने अधिनियम की धारा-8 के तहत यह सुझाव दिया है कि राज्य शासन से इस संबंध में परामर्श किया जाए कि वर्तमान प्रोजेक्ट के शेष कार्यों को पूर्ण करने के लिए मप्र हाउसिंग और अंधोसंरचना विकास बोर्ड को दायित्व सौंपा जाए।
मई में निलंबित हुआ था पंजीयन
रेरा प्राधिकरण द्वारा परियोजना पंजीकरण के आदेश में उल्लेख की गई शर्तों का पालन न करने के लिए परियोजना का पंजीयन मई 2019 में निलंबित किया गया था। लेकिन निलंबन के बाद भी अनियमिताओं को दूर नहीं किया गया। जिसके बाद पंजीयन को निरस्त किया गया है।
यह है मामला
अपेक्स बैंक तिराहे स्थित गैमन इंडिया के खिलाफ चांदना अरोरा ने शिकायत की थी। इस शिकायत में बताया गया कि 2015 में कंपनी ने 90 प्रतिशत राशि जमा करा ली, लेकिन फ्लैट का पजेशन अब तक नहीं मिला। जबकि टेंडर शर्तों में लिखा था कि 2015 के अंत या 2016 के मध्य में फ्लैट का कब्जा दे दिया जाएगा। इतना ही नहीं बल्कि जरूरी सुविधाओं के नाम पर भी गैमन इंडिया ने खरीदारों से लाखों रुपये की मांग की। रेरा ने सुनवाई के दौरान शिकायत को सही माना था।
17 अप्रैल 2008 में कंपनी के अनुबंध में तय किया था कि दीपमाला इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी मालिक नहीं, बल्कि प्रोजेक्ट डेवलपर है। मई 2017 को शर्तों के अनुसार हाउसिंग बोर्ड को प्रोजेक्ट सौंपना था। खरीदारों के मुताबिक कंपनी के पूर्व डायरेक्टर रमेश शाह ने तत्कालीन कलेक्टर निकुंज श्रीवास्तव के फर्जी हस्ताक्षर व सील बनवाकर 500 करोड़ रुपए की टीटी नगर स्थित जमीन की लीज ली थी।
कंपनी पर आरोप था कि दिवालिया होने की कगार पर कंपनी ने सोनीमोनी इलेक्ट्रॉनिक्स के नाम पर एक हजार करोड़ रुपए कीमत की संपत्ति को चुपचाप तरीके से गिरवी रख दिया है। दीपमाला इन्फ्रास्ट्रक्चर और मुंबई की सोनीमोनी इलेक्ट्रॉनिक्स दोनों ही रमेश शाह की कंपनी हैं। विवादित प्रोजेक्ट में सोनीमोनी इलेक्ट्रॉनिक्स की साझेदारी है।
यह होगा असर
-कंपनी अब विज्ञापन और मकान बेच नहीं पाएगी।
-प्रोजेक्ट का काम करने से पहले रेरा से अनुमति लेनी होगी।
-लोगों का कितना पैसा बकाया है, इसकी प्रोग्रेस रिपोर्ट की जानकारी देनी होगी।
-बिना रेरा की अनुमति के पैसा नहीं ले सकेंगे।
-बैंक संबंधी कार्यवाही के लिए रेरा को पूरी अनुमति लेनी होगी।
यह था प्रोजेक्ट
जमीन का क्षेत्रफल 5 एकड़ 22 मंजिल के पांच रेसीडेंशियल टॉवर 66 विला का एक प्रीमियम टॉवर 20 पेंट हाउस, 288 फ्लैट्स 18 मंजिल के दो ऑफिस टॉवर 488 ऑफिस स्पेस जी प्लस फोर पार्किंग स्वीमिंग पूल, स्पोर्ट कोर्ट, इनडोर गेम जोन, चिल्ड्रन्स प्ले जोन, जॉगिंग व साइकिल ट्रैक।
दीपमाला का 76 फीसदी स्टेक होल्डर गैमन इंडिया है। जितनी लूट हमारे साथ हुई है उसका 76 फीसदी गैमन के पास चला गया है। हम उस पर आपराधिक मामला दर्ज कराएंगे। दीपमाला गैमन का फारेंसिक ऑडिट करवाएं। जिसकी मांग सीएम से की है। जल्द ही इन सब लुटेरों से लूट का पैसा वापस लेंगे।
- चांदना अरोरा, कन्वीनर, वॉच लीग व गैमन पीड़ित