RIP Dilip Kumar: भोपाल की शकीला बानो को दिलीप कुमार ने बनाया था स्टार
दिलीप कुमार के निधन पर भोपाल के कला जगत से जुड़े लोगों ने उनके संदर्भ में अपने कई अनुभव साझा किए।
By Ravindra Soni
Edited By: Ravindra Soni
Publish Date: Wed, 07 Jul 2021 02:55:49 PM (IST)
Updated Date: Wed, 07 Jul 2021 02:55:49 PM (IST)

RIP Dilip Kumar: सुशील पांडेय, भोपाल। बॉलीवुड के ट्रेजडी किंग और गुजरे जमाने के मशहूर फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार का बुधवार सुबह निधन हो गया। दिलीप कुमार का भोपाल से भी गहरा नाता रहा है। वे कई बार यहां आए और 1956 में उनकी फिल्म 'नया दौर' की शूटिंग भी भोपाल में हुई थी। उन्होंने अपनी सुपरहिट फिल्म गंगा-जमुना का स्पेशल शो भी यहां रखा था, जिसमें वे खुद भी मौजूद रहे। भोपालियों के साथ उनका इस कदर आत्मिक जुड़ाव था कि यदि आपने भोपाल आकर किसी पान वाले के सामने उनकी बुराई कर दी, तो आपको यहां पान तक नसीब नहीं होता था। शहर की गुमनाम कव्वाल शकीला बानो की प्रतिभा को दिलीप कुमार ने ही पहचाना था और उन्हें फिल्मों में काम करने का मौका दिया था। दिलीप कुमार को 2014 में मप्र शासन ने प्रतिष्ठित किशोर कुमार सम्मान से भी नवाजा था।
शहर के मशहूर गजल गायक जुल्फिकार अली बताते हैं कि दिलीप साहब से मिलने का मौका मुझे कई बार मिला। वे जबर्दस्त शख्यियत और बेहतरीन इंसान थे। उनसे मेरी पहली मुलाकात मुंबई में अप्रैल 1991 में फिल्म 'कलिंगा' के महूर्त पर हुई थी। मैं धर्मेंद्र के साथ गया था। हालांकि यह फिल्म बाद में पूरी नहीं हो पाई। जुल्फिकार ने बताया कि 1956 में भोपाल में फिल्म 'नया दौर' की शूटिंग चल रही थी। इसी दौरान बुदनी में शकीला बानो का प्रोग्राम रखा गया था। तब दिलीप साहब ने शकीला बानो की प्रतिभा को पहचाना और मौका दिया। दिलीप कुमार के कहने पर शकीला बानो मुंबई गईं। उन्होंने करीब 45 फिल्मों में काम किया और दुनिया भर में कव्वालियों के प्रोग्राम किए। 50-60 के दशक में शकीला बानो की फिल्मों और कव्वालियों ने खूब धूम मचाई। जुल्फिकार बताते हैं कि फिल्म मुगल-ए-आजम के डायरेक्टर के आसिफ के असिस्टेंट नसीर सलामुद्दीन भोपाल के रहने वाले थे और दिलीप कुमार के अच्छे दोस्त थे। उनके कारण ही दिलीप कुमार का भोपाल से जुड़ाव हुआ।
गंगा-जमुना के स्पेशल शो हेतु सायरा के साथ भोपाल आए थे दिलीप कुमार
जुल्फिकार अली बताते हैं कि सन 1962 में फिल्म गंगा-जुमना की स्पेशल स्क्रीनिंग के दौरान सायरा बानो भी भोपाल आईं थी और तब दिलीप कुमार और सायरा बानो भेल के गेस्ट हाउस में रुके थे। कांग्रेस नेता गुफरान आजम द्वारा आयोजित क्रिकेट प्रतियोगिता के फाइनल में भी दिलीप कुमार ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की थी। सन् 1978 में यह कार्यक्रम टीटी नगर स्टेडियम में हुआ था। इसके बाद दिलीप कुमार कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी के चुनाव प्रचार में 1998 में भोपाल आए थे।
दिलीप कुमार के निधन पर मप्र की संस्कृति और पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर, संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला ने गहरा शोक व्यक्त किया है। उषा ठाकुर ने कहा कि दिलीप कुमार हिंदी फिल्मों के प्रसिद्ध और लोकप्रिय अभिनेता थे। मप्र नाट्य विद्यालय के निदेशक आलोक चटर्जी समेत शहर के कलाकारों ने गहरा दुख व्यक्त किया है।
भोपाली नहीं सुन पाते थे उनकी बुराई : भोपाल निवासी फिल्म अभिनेता अरुण वर्मा ने कहा कि मैं खुद को खुशनसीब मानता हूं कि मुझे दिलीप साहब के साथ काम करने और उनसे सीखने का मौका मिला। 1997 में दूरदर्शन पर धारावाहिक 'इसी दुनिया के सितारे' आता था, जिसे दिलीप कुमार डायरेक्ट करते। मुझे इस सीरियल में दुल्हे का रोल करने का अवसर मिला था। पूरी शूटिंग दिलीप कुमार के घर पर ही हुई थी। इस दौरान मुझे उनसे जुड़ने और सीखने का मौका मिला। हिंदी, उर्दू, पंजाबी और अंग्रेजी भाषा जानने वाले दिलीप कुमार ने मुझे अपने बेटे की तरह सिखाया था और तीन दिन में उनसे मैंने जो सीखा, वह आज तक मेरे काम आ रहा है। भोपाल और यहां के लोगों से उनका गहरा लगाव था। यहां के पानवालों के सामने दिलीप साहब की बुराई कर दो तो वे पान नहीं खिलाते थे। वहीं दिलीप कुमार की शादी पर भोपाल के लोगों ने वलीमा दिया था।