राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। IIT मद्रास के सहयोग से मध्य प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने का प्रयास होगा। सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए मंथन करने देशभर के अधिकारी भोपाल में जुटेंगे। प्रशासन अकादमी भोपाल में 15 अक्टूबर को प्रदेश स्तरीय सड़क सुरक्षा सेमिनार आयोजित किया जा रहा है। IIT मद्रास के सहयोग से आयोजित इस सेमिनार में प्रदेश एवं प्रदेश के बाहर के लगभग 500 अधिकारी शामिल होंगे। इस एक दिवसीय सेमिनार में मध्य प्रदेश स्टेक होल्डर्स एलाइमेंट मीटिंग फॉर डेटा-ड्रिवन हाइपर लोकल इंटरवेंशन (DDHI) का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी शामिल होंगे।
सेमिनार में मद्रास IIT के विशेषज्ञ एमपी के अधिकारियों को प्रशिक्षण देंगे कि कैसे सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सकती है और इसके लिए क्या-क्या उपाय किए जा सकते हैं। आइआइटी मद्रास और केंद्रीय सड़क परिवहन तथा राजमार्ग मंत्रालय के सहयोग देशभर में ऐसे 100 सेमिनार किए गए हैं। इसी क्रम में भोपाल में भी यह सेमिनार आयोजित किया गया है। स्थानीय स्तर पर सटीक डेटा, तकनीकी विश्लेषण और साक्ष्य-आधारित निर्णय प्रणाली के माध्यम से सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने और मृत्यु दर को घटाने के आशय से भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने देशभर में डेटा-ड्रिवन हाइपर लोकल इंटरवेंशन (DDHI) कार्यक्रम की शुरुआत की है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने 17 राज्यों के 100 प्राथमिक जिलों की पहचान की है, जहां DDHI कार्यक्रम लागू किया जा रहा है। इस पहल के विकास और कार्यान्वयन का नेतृत्व IIT मद्रास के सेंट्रल ऑफ एक्सीलेंस फॉर रोड सेफ्टी को सौंपा गया है। मध्य प्रदेश के नौ जिले सिवनी, बड़वानी, रायसेन, मंडला, बैतूल, मुरैना, राजगढ़, शिवपुरी और खरगोन DDHI कार्यक्रम के तहत चयनित किए गए हैं। लेकिन सड़क सुरक्षा की प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने सेमिनार में सभी 55 जिलों के जिला सड़क सुरक्षा समितियों को में शामिल किया है। इसका उद्देश्य है कि प्रत्येक जिला स्थानीय स्तर पर डेटा एनालिसिस टूल का उपयोग करके ठोस और सटीक सड़क सुरक्षा समाधान विकसित किया जाए।
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मध्य प्रदेश में तेज रफ्तार वाहन सड़क दुर्घटनाओं का बड़ा कारण हैं। 2024 में 14,791 लोगों की इसमें मौत हुई, इसमें 75 प्रतिशत मामले तेज गति से जुड़े हुए हैं। दुर्घटनाओं में ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी से दोगुनी मौतें सामने आई हैं। ग्रामीण क्षेत्र की सड़कों पर दुर्घटनाओं से लगभग नौ हजार लोगों की मौत हुई है। पिछले चार वर्ष से यह संख्या आठ हजार से नौ हजार के बीच है। सड़कों पर सुरक्षा (सेफ्टी) मापदंडों का पालन भी ठीक से नहीं हो पाता है।