गागर में सागर हैं परिभाषेन्दु शेखर की परिभाषाएं
राष्ट्रीय संस्कृत संस्थानम में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन भोपाल। नवदुनिया रिपोर्टर राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान में शुक्रवार को दो दिवसीय व्याकरण व शिक्षाशास्त्र राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। व्याकरण संगोष्ठी का विषय 'परिभाषार्थ विमर्श' रखा गया। इस मौके पर राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, लखनऊ परिसर के पूर्व प्राचार्य प्रो.रामसागर मिश्र ने अपने वक्तव्य में
By
Edited By:
Publish Date: Sat, 11 Nov 2017 04:06:32 AM (IST)
Updated Date: Sat, 11 Nov 2017 04:06:32 AM (IST)

राष्ट्रीय संस्कृत संस्थानम में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
भोपाल। नवदुनिया रिपोर्टर
राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान में शुक्रवार को दो दिवसीय व्याकरण व शिक्षाशास्त्र राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। व्याकरण संगोष्ठी का विषय 'परिभाषार्थ विमर्श' रखा गया। इस मौके पर राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, लखनऊ परिसर के पूर्व प्राचार्य प्रो.रामसागर मिश्र ने अपने वक्तव्य में पंख नागेश भये के व्याकरण दर्शन पर बात की। उन्होंने कहा कि परिभाशेन्दु शेखर का अध्ययन अत्यन्त महत्वपूर्ण है, यह पंडित भऐ की अत्यंत प्रौढ़ रचना है। परिभाषेन्दु शेखर में दी गई परिभाषाए 'गागर में सागर' का कार्य करती हैं। अत्यंत लघु-स्वरूप में दिए गए सूत्र व्याकरण के सिद्धातों की ऐसी व्याख्या करते हैं कि पाठक के मन में कोई संदेह नहीं रह जाता है। शिक्षाशास्त्र संगोष्ठी में राष्ट्रीय एकता समिति के उपाध्यक्ष महेश श्रीवास्तव ने शिक्षा में पाठ्यचर्या की स्थिति पर चर्चा की। उन्होंने कि कहा कि शिक्षा व्यवस्था में पाठ्यक्रम एक आधारभूत तत्व है जो शिक्षा की दशा एवं दिशा निर्धारित करता है। इस अवसर पर सभाध्यक्ष परिसर प्राचार्य प्रो. एम.चन्द्रशेखर ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि शिक्षा में पाठ्यचर्या सर्वाधिक महत्वपूर्ण बिंदु होता है। यह शिक्षा व्यवस्था के ढांचे के लिए सबसे मजबूत स्तम्भ का कार्य करता है इसलिए अत्यन्त संवेदन शीलता के साथ इसका निर्माण किया जाना चाहिए। संगोष्ठियों में दिल्ली, जयपुर, लखनऊ, आदि शहरों से आए छात्र शोधछात्र व प्राध्यापकों ने हिस्सा लिया।