
धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। मध्य प्रदेश में मिशन-2023 की तैयारी में जुटी भाजपा ने एसटी के बाद अब एससी वर्ग को साधने के लिए भी फार्मूला तैयार किया है। पार्टी ने माना है कि वर्ष 2018 के चुनाव में एससी वर्ग का भरोसा टूटने के कारण ही भाजपा की सरकार नहीं बन पाई थी। पिछले 15 साल में हुए तीन विधानसभा चुनावों में उसे 2018 में ही एससी वोटों के मामले में भारी नुकसान हुआ। इसी तरह सीटों की संख्या भी क्रमश: कम होती गईं। पार्टी की एससी वर्ग की सीटें अधिकतम 28 से घटकर 18 पर आ गईं। यही नहीं सामान्य सीटों पर भी एससी वोट न मिलने से पार्टी को बड़ा नुकसान हुआ था। यही कारण है कि पार्टी ने एससी वर्ग के बड़े नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया को पार्टी के सर्वोच्च फोरम संसदीय बोर्ड का सदस्य बनाया है। उनका प्रदेश के मालवा अंचल में अच्छा प्रभाव है। साथ ही, उत्तर प्रदेश के इटावा से सांसद रामशंकर कठेरिया को प्रदेश सह प्रभारी बनाया है।
रामशंकर कठेरिया का मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्र में अच्छा प्रभाव है। ग्वालियर-चंबल के बड़े नेता व पूर्व मंत्री लाल सिंह आर्य पहले से ही राष्ट्रीय अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष हैं। एससी मतदाताओं वाले क्षेत्रों में बड़े नेताओं को संगठन के अहम पदों पर लाने के इस फार्मूले से भाजपा 2023 के चुनाव में एससी वर्ग में खोया जनाधार वापस लाने की कोशिश करेगी। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में एससी वर्ग के लिए आरक्षित 35 में से 28 सीटें भाजपा को मिली थीं। 2013 के चुनाव में 25 सीटें मिलीं और 2018 में ये घटकर केवल 18 रह गई थीं।
एट्रोसिटी एक्ट से हुआ नुकसान
दरअसल, एट्रोसिटी एक्ट में हुए संशोधन के खिलाफ एससी वर्ग ने अप्रैल 2018 में भारत बंद का आह्वान किया था। इसमें सिर्फ ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में हुई हिंसा में एससी वर्ग के आठ लोग मारे गए थे। यहां हजारों लोगों के खिलाफ आगजनी और हिंसा फैलाने का केस दर्ज किया गया था। कांग्रेस ने इसका फायदा उठाया और घोषणा कर दी कि उसकी सरकार बनी तो वे एससी वर्ग के लोगों के खिलाफ दर्ज सारे मामले वापस ले लेंगे। विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस को इसका फायदा भी मिला और उसकी सीटें वर्ष 2008 की सात से बढ़कर 17 हो गईं। हालांकि, कांग्रेस की सरकार बनने के बाद भी एससी वर्ग के मामले वापस नहीं लिए गए। अब भाजपा इस तैयारी में है कि चुनाव से पहले सारे आपराधिक मामलों को वापस ले लिया जाए।
उपचुनाव और नगरीय निकाय चुनाव में भी घाटा
उपचुनाव 2021 में एससी वर्ग के लिए आरक्षित विधानसभा सीट रैगांव भी भाजपा हार गई थी। हाल में हुए नगरीय निकाय चुनाव में भी भाजपा की महापौर प्रत्याशी को मुरैना सीट पर हार मिली। उज्जैन नगर निगम की एससी सीट मामूली वोट से भाजपा जीत पाई।
हमारी पूरी कोशिश है भाजपा को मिशन 2023 में जीत हासिल हो। संगठन स्तर पर इसकी तैयारियां चल रही हैं। हम सभी वर्गों का समर्थन जुटा रहे हैं। - सत्यनारायण जटिया, सदस्य, भाजपा संसदीय बोर्ड