भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। शहरी क्षेत्र खासतौर पर राजधानी में चार स्त्रोत है। इसमें नर्मदा नदी, कोलार डैम, बड़ी झील, केरवा डैम इन स्त्रोत को बचाने के लिए नगर निगम प्रयासरत है। आने वाले दिनों में पानी बहुत ही महत्वपूर्ण है, इसलिए जल संरक्षण बहुत जरूरी है। यह बात नगर निगम कमिश्नर वीएस चौधरी कोलसानी ने सोमवार को नवदुनिया/नईदुनिया का सहेज लो हर बूंद अभियान पर आयोजित एक वेब परिचर्चा के दौरान कही। उन्होंने कहा कि राजधानी में ग्राउंड वाटर रिचार्ज के लिए काम किया जा रहा है। सभी घरों में वाटर रिचार्ज कंस्ट्रक्शन कराने पर निगम का जोर है। शहरी क्षेत्रों में बारिश के पानी को अगर संभाल लेंगे तो हमें भविष्य में पानी की कमी नहीं होगी। पीने के पानी के जलस्त्रोतों को बचाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजधानी में दस सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट(एसटीपी) बनाना है। इस प्लांट से सीवेज या गंदे पानी को ट्रीट किया जाता है। इससे 140 लीटर पानी निकलेगा। इस सीवेज ट्रीटेड पानी का दुबारा उद्यानों व धुलाई संबंधित कामों में उपयोग कर सकते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र की जल शक्ति मिशन पर भी काम शुरू किया गया है। पानी की गुणवत्ता के लिए कचरों का प्रबंधन बहुत जरूरी है। प्लास्टिक, पॉलीथिन आदि कचरा सबसे ज्यादा पानी के स्त्रोतों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। आदमपुर में कचरा को प्रोसेस करने से ग्राउंड लेवल के पानी को नुकसान पहुंच रहा है। गीला वेस्ट से सीएनजी बनाने का काम चल रहा है। वहीं सूखा कचरा से चारकोल बनाने का कार्य करने की योजना है। भूजलस्तर को रोकने के लिए कचरा प्रबंधन बहुत जरूरी है। इसके लिए नवदुनिया को धन्यवाद देना चाहता हूं कि निगम को जल संरक्षण और स्वच्छता जैसे कई मुद्दों पर ध्यानाकर्षित करता रहता है। नवदुनिया के स्थानीय संपादक संजय मिश्र ने कहा कि समाज के प्रति हमारा उत्तरदायित्व है। समाज जीवंत व जाग्रत हो सके, इसके लिए नवदुनिया/नईदुनिया और दैनिक जागरण की ओर से सात सरोकार चलाया जाता है। इसके तहत जलसंरक्षण हमारे सात सरोकार में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है। हमारे सामने कई चुनौतियां सामने आ रही हैं। इससे निपटने में हम आपके माध्यम से आवाज बनेंगे। वहीं मप्र व छग नवदुनिया/नईदुनिया के ब्रांड हेड अनुराग जोशी ने आभार माना। इस वेबीनार में प्रदेश भर के 100 से अधिक प्रबुद्धजनों ने सहभागिता निभाई।
छिंदवाड़ा के डॉ अमर सिंह ने कहा कि एक
पानी के उपयोग के लिए भी मीटर लगना चाहिए-एक बूंद के वैल्यू को पहचानना होगा। किसानों को जागरूक करना होगा कि वे सिंचाई के काम में कम पानी का उपयोग करें। वहीं होशंगाबाद की कवियित्री कीर्ति वर्मा ने कहा कि सबसे पहले हमें खुद को पानी बचाने के लिए जागरूक होना होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में नरवाई जलने से जल स्त्रोत नीचे चला जाता है। वहीं दुबई की तर्ज पर यहां भी वेस्ट पानी का उपयोग सिचाईं में करना चाहिए। नए घरों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जाना चाहिए। साथ ही बिजली की तरह पानी के लिए भी मीटर लगा होना चाहिए। तब लोग पानी का महत्व समझेंगे।
शिक्षित लोगों को जागरूक करना होगा
विदिशा के नीरज चौरसिया ने कहा कि वे दस साल से बेतवा नदी के लिए काम कर रहा हूं। पहले के जलस्त्रोत बावड़िया, कुआं आदि का संरक्षण करना होगा। वहीं हंसा व्यास ने कहा कि हमें पढ़े-लिखे लोगों को जागरूक करना होगा। वाटर रिसाइकिल लिए सरकार सब्सिीडी दें तो सभी जल संरक्षण के प्रति जागरूक होंगे।
दैनिक कार्यों में पानी को बचाएं
वहीं चार्टर्ड अकाउंटेंट प्रदीप खंडेलवाल ने कहा कि जल समस्या विकराल बनती जा रही है। अगला विश्वयुद्ध जल के लिए होगा। ऐसे में नवदुनिया व नई दुनिया द्वारा सहेज लो हर एक बूंद कार्यक्रम सराहनीय प्रयास है। वाकई बूंद-बूंद से घट भरे, लेकिन सिर्फ बोलने से नही हमंे प्रयास करना होगा। वाटर हार्वेस्टिंग और वृक्षारोपण तो बड़े पैमाने पर होना ही चाहिए, लेकिन हमें भी दैनिक दिनचर्या में छोटे-छोटे प्रयास करन जरूरी है। जैसे दाढ़ी बनाते या ब्रश करते समय वाश बेसिन का नल चालू करके न रखें, बल्कि एक मग में पानी ले कर करें। नहाने के लिए यदि शावर का उपयोग करते हैं तो साबुन लगाते समय बंद कर दें और ज्यादा देर शावर के नीचे न नहाएं, बेहतर होगा बाल्टी का उपयोग करें। गाड़ी धोने के लिए बाल्टी में पानी ले कर धोएं। मेहमानों को छोटे गिलास में या गिलास में कम पानी भर कर दें, जरूरत हो तो और दें। वहीं पी नागिया ने कहा कि इय जल आंदोलन से आम जन को जोड़ना होगा। तभी जल संरक्षण कर सकते हैं।
पानी की बर्बादी पर भी लगे जुर्माना
गुना के विनित सेठ ने कहा कि गुना में छह डैम है। इसके संरक्षण पर काम कर रहा हूं। प्रशासन के साथ मिलकर आम नागरिक को जोड़कर अभियान चला सकते हैं। वहीं बैतूल के तरूण वैध ने कहा कि ग्रीन टाइगर्स के नाम से हमने संस्था शुरू किया है। इसमें समूह के माध्यम से प्रकृति संरक्षण पर कार्य कर रहे हैं। जल के अनुपयोग पर जुर्माना लगाया जाए। वहीं भूपेंद्र रध्ाुवंशी ने कहा कि जल संरक्षण के लिए शासन की विभिन्न् योजना है। हमारी संस्था जल संरक्षण पर कार्य कर रही है। रायसेन के हरिश मिश्रा ने कहा कि जल संरक्षण के प्रति हर व्यक्ति को जागरूक होना होगा। वहीं अपने पारंपकि स्त्रोतों को बचाना होगा। भगवती शरण ने कहा कि पानी के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा। तभी इसे बचा सकते हैं। वहीं अशोकनगर की मुक्ति परमार ने कहा कि जल संरक्षण पर साल भर काम करना होगा, सिर्फ हमें चर्चा तक ही सीमित नहीं होना होगा, बल्कि आगे आएं।
समुदाय स्तर पर पानी सहेली या पानी मित्र बनाकर जल संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करें
ग्रामीण क्षेत्रों में समुदाय स्तर पर पानी सहेली या जल मित्र बनाकर लोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक कर सकते हैं। पूरे भारत या दुनिया के सामने जल संकट आने वाला है। इसका बहुत बड़ा कारण है कि हमने 73 फीसद पानी का उपयोग हम कर चुके हैं। हमारे लिए सबसे बड़ा पानी का स्त्रोत कावेरी, गोदावरी और गंगा है। मध्यप्रदेश सबसे ज्यादा प्राकृतिक संपदा वाला प्रदेश है। यहां पर जल संरक्षण की अपार संभावनाएं हैं। यह बात जल जन जोड़ों अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह ने कहीं। उन्होंने नवदुनिया द्वारा चलाए जा रहे सात सरोकारों की सराहना करते हुए कहा कि जल संरक्षण एक ऐसा मुद्दा है, जिससे हर किसी से जुड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण को लेकर शहरी क्षेत्रों में अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि वहां प्राकृतिक दोहन भी अधिक हो रहा है। उन्होंने कहा कि जो अटल भूजल योजना अगर आज से 20 साल पहले शुरू किया जाता तो पानी के संकट से हम निपट सकते थे। वहीं जल जीवन मिशन अभियान के तहत 2024 तक सभी तक पानी को पहुंचाने की योजना है। आज सबसे बड़ी चुनौति यह है कि खपत के अनुसार जल संरक्षण कैसे करें। मप्र को अभी से सचेता होना होगा, तभी हम अपनी भावी पीढ़ि को पानी दे पाएंगे। इसके अलावा लोगों को जल साक्षरता का पाठ पढ़ाना होगा। मप्र के बुदेंलखंड में समुदाय के सहयोग से जल के स्त्रोंतो को रिचार्ज किया जा रहा है। नवदुनिया के स्थानीय संपादक संजय मिश्र ने समाज के प्रति हमारा उत्तरदायित्व है। समाज जीवंत व जाग्रत हो सके, इसके लिए नवदुनिया/नईदुनिया और दैनिक जागरण मिलकर सात सरोकार चलाया जाता है। इसके तहत जलसंरक्षण हमारे सात सरोकार में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है। हमारे सामने कई चुनौतियां सामने आ रही हैं। इससे निपटने में हम आपके माध्यम से आवाज बनेंगे।