वैभव श्रीधर, नईदुनिया, भोपाल। किसानों की आय बढ़ाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सरकार दुग्ध उत्पादन बढ़ाने का प्रयास कर रही है लेकिन मैदानी अमला इसे पलीता लगाने में जुटा है। कृत्रिम गर्भाधान योजना के माध्यम से नस्ल सुधार का जो कार्यक्रम भारत सरकार के सहयोग से प्रदेश में चलाया जा रहा है, उसमें गड़बड़ियां सामने आई हैं।
वित्तीय वर्ष 2024-25 में कृत्रिम गर्भाधान करने की जो जानकारी ऑफलाइन दी गई, वह 39 लाख थी, जबकि, आनलाइन व्यवस्था में यह 15 लाख से कुछ अधिक ही आई। इससे शंका हुई तो आंकड़ों की पड़ताल कराई गई। काल सेंटर से हितग्राहियों से संपर्क कराया तो पता लगा कि उनके पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान हुआ ही नहीं। इस पर अब जिम्मेदार अधिकारियों को कार्रवाई के लिए नोटिस दिए जा रहे हैं।
नस्ल सुधार के लिए भारत सरकार राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम चला रही है। मध्य प्रदेश में इस कार्यक्रम को सरकार ने प्राथमिकता से लिया। उद्देश्य यही है कि कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से नस्ल सुधार किया जाए, जिससे दुग्ध उत्पादन बढ़े और किसान की आय में वृद्धि हो। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों की आय में वृद्धि का जो संकल्प लिया है, उसकी पूर्ति के लिए किसानों को खेती के साथ-साथ पशुपालन के लिए प्रेरित करना है।
देसी नस्ल से दुग्ध उत्पादन उतना नहीं होता है, जितना उन्नत नस्ल के पशुओं से होता है। यही कारण है कि कृत्रिम गर्भाधान का रास्ता चुना गया। एक कृत्रिम गर्भाधान करने में सब मिलाकर लगभग एक हजार रुपये का व्यय भार आता है। पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा प्रदेश में प्रतिवर्ष लगभग 40 लाख पशुओं का कार्यक्रम के अंतर्गत कृत्रिम गर्भाधान किया जाना बताया जा रहा है।
उमाकांत उमराव जब विभाग के प्रमुख सचिव बने तो उन्होंने समीक्षा में पाया कि इसमें कुछ गड़बड़ है। डेटा आनलाइन अपलोड कराया तो संख्या एक दम से लगभग आधी आ गई। डेटा का मिलान भारत सरकार के हाइब्रिड और उच्च नस्ल के पशुधन के संख्या के डेटा का मिलान कराया तो शंका की पुष्टि हो गई।
इस कार्यक्रम का पूरा दारोमदार सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारियों पर है। कृत्रिम गर्भाधान सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी या कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता (मैत्री) करते हैं। इनके द्वारा ही जानकारी भेजी जाती है। इसमें ही गड़बड़ी सामने आई है। दरअसल, गर्भाधान किया ही नहीं गया और जानकारी दे दी गई।
विभाग ने जानबूझकर गलत फर्जी और भ्रामक जानकारी देने को लापरवाही, आपराधिक कृत्य और शासकीय संसाधनों का दुरुपयोग मानते हुए कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्णय लिया है। यदि उत्तर संतोषजनक नहीं रहता है तो फिर अनुशासनात्मक एवं वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
सभी कार्यकर्ताओं का होगा सत्यापन
विभाग के प्रमुख सचिव का कहना है कि सभी कार्यकर्ताओं का पंजीयन और सत्यापन कराने के निर्देश दिए हैं। प्रशिक्षण भी दिलाया जा रहा है। इस काम में किसी तरह की गड़बड़ी स्वीकार नहीं होगी। नियमित तौर पर समीक्षा की जाएगी। अभी जिन अधिकारियों द्वारा वार्षिक लक्ष्य के अनुरूप दैनिक लक्ष्यों की पूर्ति नहीं की जा रही है, उन्हें भी नोटिस देकर कारण पूछा जा रहा है।