
नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। मध्य प्रदेश में पुराने वाहनों (सेकंड हैंड गाड़ियों) की खरीद-बिक्री करने वाले डीलरों के लिए अब नियम सख्त कर दिए गए हैं। प्रदेश भर में बिना पंजीयन के चल रहे पुराने वाहनों के कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए परिवहन विभाग ने सख्त निर्देश जारी किए हैं। अब किसी भी डीलर को पुराने वाहनों का क्रय-विक्रय करने के लिए 'प्राधिकार पत्र' लेना अनिवार्य होगा।
बिना इस प्रमाण पत्र के व्यापार करने वालों के खिलाफ एक जनवरी 2026 से प्रदेशव्यापी धरपकड़ और कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी। मालिक को मिलेगी कानूनी सुरक्षा, डीलर बनेगा डीम्ड ओनर परिवहन विभाग के नए नियमों के अनुसार, अब वाहन मालिक को अपनी गाड़ी किसी भी अधिकृत डीलर को बेचते समय केंद्रीय मोटरयान नियम के तहत फॉर्म 29 सी भरना होगा।
इस फार्म की सूचना आरटीओ को मिलते ही संबंधित डीलर उस वाहन का डीम्ड ओनर (माना गया मालिक) बन जाएगा। इसका सबसे बड़ा फायदा मूल वाहन मालिक को यह होगा कि गाड़ी हैंडओवर करते ही उसकी तमाम कानूनी जिम्मेदारियां खत्म हो जाएंगी। यदि भविष्य में उस वाहन से कोई दुर्घटना होती है या उसका दुरुपयोग होता है, तो वाहन डेटाबेस में डीलर का नाम प्रदर्शित होने के कारण मूल मालिक कानूनी पचड़ों से बच सकेगा।
दस्तावेज अपडेट रखने की जिम्मेदारी भी डीलर की ही होगी। सिर्फ 25 हजार में पंजीयन, शासन को मिलेगी जीएसटी विभाग ने इस प्रक्रिया को बेहद सरल और आनलाइन बनाया है। कोई भी डीलर मात्र 25 हजार रुपये का शुल्क जमा कर एनआइसी के माध्यम से वाहन पोर्टल पर अपना पंजीयन करा सकता है। वर्तमान में अधिकांश डीलर बिना पंजीयन के काम कर रहे हैं, जिससे शासन को 18 प्रतिशत जीएसटी का भारी नुकसान हो रहा है।
नए नियम के तहत डीलर को वाहन विक्रय पर होने वाले मुनाफे पर जीएसटी का भुगतान करना होगा। सड़कों पर दौड़ने के लिए तय किए नियम अधिकृत डीलर 'डीम्ड ओनर' रहते हुए वाहन को केवल सीमित उद्देश्यों के लिए ही सड़क पर चला सकेगा। इसमें संभावित खरीदार को डेमो या ट्रायल देना, मरम्मत के लिए सर्विस सेंटर ले जाना या फिटनेस और पीयूसी प्रमाणपत्र के लिए निरीक्षण केंद्र तक ले जाना शामिल है।
परिवहन विभाग ने सभी आरटीओ को निर्देश दिए हैं कि वे अपने क्षेत्रों में सघन जांच करें। नए वाहनों के शोरूम संचालक भी यदि 'एक्सचेंज' में पुरानी गाड़ियां लेते हैं तो उनके लिए भी यह डीलर आथोराइजेशन लेना अनिवार्य होगा।