धन के अभिमान से नहीं, मन के सरल भाव से करें प्रभु की सेवा : पं. ओमप्रकाश शास्त्री
छोला दशहरा मैदान पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दौरान पं ओमप्रकाश शास्त्री ने श्रद्धालुओं को भगवत्भक्ति का मर्म समझाया।
By Ravindra Soni
Edited By: Ravindra Soni
Publish Date: Fri, 21 Jan 2022 09:59:45 AM (IST)
Updated Date: Fri, 21 Jan 2022 09:59:45 AM (IST)

भोपाल, नवदुनिया प्रतिनिधि। श्री विश्व राधा कृष्ण योग प्रचार समिति द्वारा छोला दशहरा मैदान में जनकल्याण की भावना से चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन भागवत कथा वाचक पं. ओम प्रकाश शास्त्री जी ने श्रद्धालुओं को बताया कि वास्तव में प्रभु की भक्ति और सेवा कैसे करनी चाहिए। उन्होंने अपने प्रवचन में कहा कि भगवान को प्रेम से अर्पण की हुई हर वस्तु, चाहे वह रूखा सूखा जैसा भी हो, सब स्वीकार हैं। भगवान को बुलाना है, तो मन में भाव उत्तम होना चाहिए। भगवान जाति, धर्म या वस्तु से नही आते। वे तो भक्त के मन व उसके निर्मल भाव को देखकर प्रसन्ना होते हैं।
उन्होंने कहा कि श्री हरि के चरणों में लक्ष्मी आठों प्रहर सेवा करतीं हैं। मंदिर में भगवान के सामने जाकर धन दिखाना मूर्खता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को जीवन में दान करते रहना चाहिए। जिस प्रकार भजन करने से मन शुद्ध होता है, उसी प्रकार धन का दान करने से धन की शुद्धि होती है। आपके द्वारा कमाए हुए धन में विकार उत्पन्ना होता है, इसलिए दान करना आवश्यक है। व्यक्ति को अपने सामर्थ्य के अनुसार मन में जितना संभव हो सके, उतना दान करना चाहिए। मन से किया हुआ दान सबसे उत्तम दान कहलाता है। वामन भगवान ने राजा बलि को छला, तो उस समय बलि के मन में उत्तम भाव था, अपने आप को समर्पण करने का भाव था, जिससे भगवान ने प्रसन्न होकर संपूर्ण संपत्ति का स्वामी राजा बलि को बना दिया। इससे पूर्व व्यास पीठ का पूजन कथा यजमान प्रेम श्रीवास्तव रेखा श्रीवास्तव, एपीडा अध्यक्ष चेतन सिंह, मनीष मालिक, डॉ राम निहोरे, कृष्णा पांडेय, मुन्नालाल सिरोठिया, शोभा पांडेय आदि ने किया।
संस्था के प्रणय शर्मा ने बताया कि शुक्रवार दोपहर को भागवत कथा वाचन के दौरान यहा धूमधाम से कृष्ण भगवान का जन्म उत्सव मनाया जाएगा और बाल कृष्ण की सुंदर झांकी सजाई जाएगी। इस अवसर पर संस्था द्वारा छोटे बच्चों को खिलौने के साथ शिक्षा संबंधी सामग्री बांटी जाएगी। उन्होंने सभी से अपील कर कहा कि कोरोना बचाव के नियमों का पालन कर आपस में दूरी बनाकर बैठें।