
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। मध्य प्रदेश में किसानों की आय बढ़ाने, स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने और अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए हर जिले में कृषि आधारित छोटे-छोटे उद्योग लगाए जाएंगे। इसके लिए कृषि विभाग के साथ मिलकर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग कार्य योजना बना रहा है। उद्देश्य है कि कम लागत के उद्योगों का जाल पूरे प्रदेश में बुना जाए। निवेश संवर्धन योजना के माध्यम से निवेशकों की मदद भी की जाएगी। सहकारी समितियों को भी इसमें आगे किया जाएगा।
मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदान कृषि क्षेत्र का है। दलहन, तिलहन से लेकर कई उद्यानिकी फसलों के उत्पादन में मध्य प्रदेश पहले नंबर पर है। इस उत्पादन को अब किसानों की आर्थिक स्थिति से जोड़कर वर्ष 2026 को उद्योग वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है। 13 दिसंबर को सरकार के दो वर्ष पूर्ण होने पर कृषि आधारित उद्योगों की कार्य योजना प्रदेशवासियों के सामने रखी जाएगी।
सूत्रों का कहना है कि पूरा जोर छोटे-छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने पर है, ताकि किसानों को उपज का उचित मूल्य मिले। बिचौलिए जो मुनाफा कमाते हैं, वह किसानों के हिस्से में आए। स्थानीय स्तर पर ही रोजगार के अधिक से अधिक अवसर मिलें। सहकारी समितियों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए उन्हें उद्योगों से जोड़ने और विकासखंड स्तर पर खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां लगाए जाने का निर्णय लिया गया है। संचालन के काम से समितियों को जोड़कर उत्पाद की मार्केटिंग और ब्रांडिंग से जोड़ने की भी तैयारी है।
किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए उन्हें पशुपालन के लिए प्रेरित किया जाएगा। प्रति पशु प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। दुग्ध उत्पाद सरकारी सहकारी समितियों के माध्यम से लेगी। प्रति लीटर पांच रुपये बोनस भी दिया जाएगा। गोबर गैस संयंत्र स्थापित कर जैविक खाद बेची जाएगी। इसका लाभ भी किसानों को ही मिलेगा।