World COPD Day 2025: सांस की बीमारी को बड़ी कर रहीं इन्हेलर की छोटी गलतियां, एम्स भोपाल के शोध में आया सामने
अगर आप या आपके परिवार में कोई अस्थमा (दमा) या सीओपीडी (सांस की पुरानी बीमारी) के लिए इन्हेलर (दमा पंप) इस्तेमाल करता है, तो उसके तरीके को नजरअंदाज न करें। एम्स भोपाल ने एक शोध में पाया है कि लगभग 70 प्रतिशत मरीज अपना इन्हेलर गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं। इन्हेलर के इस्तेमाल की यह छोटी गलती बीमारी को बड़ा अथवा अधिक गंभीर बना रही है।
Publish Date: Wed, 19 Nov 2025 10:33:40 AM (IST)
Updated Date: Wed, 19 Nov 2025 10:33:40 AM (IST)
एम्स भोपाल के शोध में पाया गया है कि 70% मरीज इन्हेलर गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं।HighLights
- इस्तेमाल करने के तरीके को नजरअंदाज न करें।
- 70 प्रतिशत मरीज गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहे।
- छोटी गलती बीमारी को बड़ा व गंभीर बना रही।
नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। अगर आप या आपके परिवार में कोई अस्थमा (दमा) या सीओपीडी (सांस की पुरानी बीमारी) के लिए इन्हेलर (दमा पंप) इस्तेमाल करता है, तो उसके तरीके को नजरअंदाज न करें। एम्स भोपाल ने एक शोध में पाया है कि लगभग 70 प्रतिशत मरीज अपना इन्हेलर गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं। इन्हेलर के इस्तेमाल की यह छोटी गलती बीमारी को बड़ा अथवा अधिक गंभीर बना रही है।
दवा गले में जमा हो रही
सीओपीडी यानी "क्रोनिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज" पर एम्स का यह अध्ययन पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के अल्केश कुमार खुराना के नेतृत्व में हुआ है। इस दौरान विशेषज्ञों ने पाया कि इन्हेलर के इस्तेमाल में मरीज दो बड़ी गलतियां कर रहे थे, जिससे दवा फेफड़ों तक पहुंचने के बजाय गले में ही जमा हो रही थी।
86 प्रतिशत मरीज ''स्पेसर'' नहीं लगा रहे थे
पहला एमडीआइ मीटर डोज इन्हेलर यानी पंप वाला इन्हेलर इस्तेमाल करने वाले 86 प्रतिशत मरीज ''स्पेसर'' (एक प्लास्टिक का डिब्बा जो पंप के आगे लगाया जाता है) नहीं लगा रहे थे। स्पेसर न लगाने से दवा तेजी से निकलती है और गले में ही अटक जाती है।
60 प्रतिशत मरीज गहरी और जोरदार सांस नहीं खींच रहे थे
दूसरा डीपीआइ ड्राइ पाउडर इन्हेलर यानी पाउडर वाला इन्हेलर इस्तेमाल करने वाले 60 प्रतिशत मरीज गहरी और जोरदार सांस नहीं खींच रहे थे। पाउडर वाली दवा को फेफड़ों के अंदर तक खींचने के लिए जोर से सांस लेना बहुत जरूरी होता है। हल्की सांस लेने से दवा मुंह या गले में ही रह जाती है।
तरीका बदलते ही दिखा सुधार
अध्ययन के दौरान दमा के 45 और सीओपीडी के 38 मरीजों पर चार हफ्तों तक यह जांच की गई। इस दौरान उनकी दवा में कोई बदलाव नहीं किया गया। बस उन्हें इन्हेलर इस्तेमाल करने का सही तरीका सिखाया गया। यह तरीका बदलते ही बदलाव दिखा। चार हफ्तों में दमा के मरीजों के फेफड़ों की कार्यक्षमता (एफईवी-वन) में सुधार हुआ। उनकी परेशानी घटी। (एसीटी स्कोर) 18.0 से बढ़कर 20.75 रहा। सीओपीडी के मरीजों में भी बीमारी के लक्षण कम हुए (सीएटी स्कोर 21.86 से घटकर 19.83), और वे पहले से बेहतर महसूस करने लगे।
एमडीआइ का तरीका
- पंप को अच्छी तरह हिलाएं।
- अगर आपके पास स्पेसर है तो पंप के साथ जोड़ें।
- धीरे-धीरे पूरी सांस निकालें।
- पंप दबाएं और धीरे-धीरे गहरी सांस अंदर खींचें।
- सांस को 5–10 सेकंड तक रोकें।
- धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
- अगर डॉक्टर ने दो शॉट लेने को कहा है, तो दो मिनट का अंतर रखें।
- डीपीआइ का तरीका
- डिवाइस तैयार करें ।
- पूरी सांस बाहर निकालें।
- पाउडर खींचते समय गहरी और जोरदार सांस अंदर खींचें।
- सांस को कुछ सेकंड रोकें।
- धीरे-धीरे सांस छोड़ें।