भोपाल, नवदुनिया प्रतिनिधि। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी की राज्य स्तरीय सिन्धी कल्याण समिति ने राज्यपाल को ज्ञापन देकर सिन्धी शिक्षकों की भर्ती की मांग की। कमेटी के संयोजक दिनेश मेघानी ने कहा है कि संविधान के 21वें संशोधन के माध्यम से सिन्धी भाषा को 10 अप्रेल 1967 को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था और संविधान के अनुच्छेद 350(ख) में भी भाषाई अल्पसंख्यकों के हितों के प्रावधान किए गए हैं। विभाजन के दौरान सम्पूर्ण सिन्ध पाकिस्तान में चले जाने की वजह से राज्य न होने के अभाव में सिन्धी संस्कृति और भाषा का संरक्षण नहीं हो पा रहा है,राज्य सरकार द्वारा सिंधी भाषा के संरक्षण के लिये काम करना तो दूर, शासकीय प्राथमिक, माध्यमिक, हायर सेकेण्ड्री स्कूलों में सिंधी शिक्षकों के पद ही समाप्त कर दिये हैं।
पदों का सृजन कर सिंधी शिक्षकों की भर्ती की मांग
मेघानी ने ने कहा है कि दुर्भाग्यपूर्ण यह भी है कि पूरे मध्य प्रदेश में एक बड़ी आबादी सिंधियों की होने के बावजूद कोई भी मान्यता प्राप्त प्राइमरी, माध्यमिक या हायर सेकंडरी विद्यालय नहीं है। इसी मामले में मप्र कांग्रेस राज्य स्तरीय सिन्धी कल्याण समिति ने सिंधी दिवस के अवसर पर प्रदेश के राज्यपाल को ज्ञापन देकर सिन्धी शिक्षकों के पदों का सृजन कर सिंधी शिक्षकों की भर्ती की मांग की है। प्रतिनिधिमंडल में समिति के संयोजक दिनेश मेंघानी, सदस्य रमेंश साहबानी और कई कार्यकर्ता शामिल थे। कांग्रेस नेता नरेश ज्ञानचंदानी का कहना है कि कांग्रेस शासन काल में सिंधी समाज के हित में कई निर्णय लिए गए लेकिन भाजपा शासनकाल में समाज की उपेक्षा की जा रही है समाज की कई समस्याओं का निराकरण अभी तक नहीं हो पाया है। ज्ञानचंदानी ने कहा है कि मध्य प्रदेश सिंधी साहित्य अकादमी का सालाना बजट, बढ़ाने की जरुरत महसुस की जा रही है। सिंधी भाषा को रोजगार से जोड़ने की वर्षो पुरानी मांग अभी तक पुरी नहीं हुई है।