भोपाल। देश में हर साल 60 हजार महिलाओं की मौत सर्वाइकल (बच्चेदानी का मुंह) कैंसर की वजह से हो जाती है। 9 से 14 साल की उम्र में लड़कियों को एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) वैक्सीन लगाया जाए तो सवाईकल कैंसर से 70 फीसदी तक बचाव संभव है। राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में भी यह वैक्सीन एक साल के भीतर शामिल करने की तैयारी है। यह टीका 98 फीसदी तक प्रभावी है। यह कहना है एम्स दिल्ली की स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की एचओडी डॉ. नीरजा भाटला का। उन्होंने वेब आधारित एक सेमिनार (वेबिनार) के जरिए यह बात कही। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार सर्वाइकल कैंसर की 70 फीसदी वजह एचपीवी है। यह वायरसों का समूह है। इसमें वायरस 16 और 18 कैंसर के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। इन्हें रोकने के लिए एचपीवी वैक्सीन लगवाना जरूरी है। उन्होंने बताया कि दुनिया में सर्वाइकल कैंसर के 35 फीसदी मामले चीन व भारत में हैं। मामले सबसे ज्यादा चीन में आने के बाद भी मौतें सबसे ज्यादा भारत में हो रही हैं। सवाईकल कैंसर को मात दे चुकीं संगीता (55) ने वेबिनार के जरिए अपनी परेशानी साझा करते हुए सभी से अपील में कहा कि एचपीवी का टीका लड़कियों को लगवाना कितना जरूरी है।
अगले साल से राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल करने की उम्मीद
एचपीवी वैक्सीन अभी सिर्फ निजी डॉक्टर लगा रहे हैं। कुछ राज्यों ने अपने स्तर पर इसे टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया है। अब भारत सरकार भी नियमित टीकाकरण में इसे अगले साल से शामिल करने की तैयारी में हैं। मध्यप्रदेश में भी अभी सिर्फ निजी डॉक्टरों के यहां यह वैक्सीन उपलब्ध है।
एचपीवी वैक्सीन डोज- 9 से 14 की उम्र में छह महीने अंतराल में दो डोज। इस उम्र्र से ज्यादा पर तीन डोज।
रेट- निजी डॉक्टर एचपीवी वैक्सीन करीब 2200 रुपए में एक डोज लगा रहे हैं।
सर्वाइकल कैंसर के लक्षणः पेशाब के रास्ते से ब्लड, सफेद पानी आना और दर्द।
क्या हैं एचपीवी
एचपीवी वायरसों का एक समूह है। यह यौन संपर्क के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे तक पहुंचता है। इस वायरस का संक्रमण करीब 8 फीसदी महिलाओं को कभी न कभी होता है। इनमें प्री कैंसर अवस्था और कैंसर की अवस्था में बहुत कम महिलाएं ही पहुंचती हैं। संक्रमण होने के करीब 15 साल बाद तक कैंसर के लक्षण नहीं दिखते। एचपीवी के संक्रमण होने पर भी किसी तरह के लक्षण नहीं इस कारण बीमारी को समय रहते पकड़ पाना कठिन होता है।
सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए यह भी करें
30 साल की उम्र के बाद हर तीन साल में सवाईकल कैंसर की जांच के लिए पैपस्मीयर टेस्ट कराना चाहिए। एम्स भोपाल के अलावा, सभी मेडिकल कॉलेज व जिला अस्पतालों में यह टेस्ट आसानी से हो जाता है। हर तीन साल में यह जांच जरूरी है। जिन्हें टीका लगा है उन्हें भी जांच कराना चाहिए।
पत्रकारों के सवाल और डॉ.भाटला के जवाब
- इस टीके की सफलता की दर क्या है?
जवाब- सफलता की दर 98 फीसदी है।
-महंगा होने के चलते यह टीका आम व्यक्ति नहीं लगवा पाता। इसे राष्ट्रीय कार्यक्रम में शामिल क्यों नहीं किया जा रहा?
जवाब- कुछ राज्यों ने किया है। उम्मीद है एक साल में राष्ट्रीय कार्यक्रम में भी आ जाएगा।
- टीका का कोई दुष्प्रभाव तो नहीं हैं?
जवाब- कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
-अधिकतम किस उम्र तक टीका लगवा सकते हैं?
जवाब-संक्रमण होने के बाद टीका असर नहीं करता इसलिए जितना पहले लगवाया जाए बेहतर है।
-इसकी इंडियन वैक्सीन कब तक आ सकती है?
जवाब-दो से तीन साल लगेंगे। सीरम इंस्टीट्यूट वैक्सीन बनाने के काम में लगा है।