
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। प्राचीन काल में सम्राट विक्रमादित्य, वराह मिहिर और आर्यभट्ट जैसी विभूतियों ने जिस उज्जैयिनी को खगोल विज्ञान का अत्याधुनिक केंद्र बनाया था, उसी धरा पर खगोल भौतिक अनुसंधान का आधुनिक केंद्र स्थापित होने जा रहा है। कर्क रेखा पर बसी भगवान महाकाल की इस नगरी के डोंगला स्थित वैधशाला परिसर में डीप टेक रिसर्च एंड डिस्कवरी सेंटर (डीआरडीसी) तैयार होगा।
इसकी घोषणा मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव गुरुवार को इंदौर में हो रहे टेक ग्रोथ कान्क्लेव 2.0 में करेंगे। आईआईटी इंदौर के खगोल विज्ञान के विभाग के सहयोग से यह केंद्र तैयार होगा। इसमें मैपकास्ट और मप्र के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का अहम भूमिका होगी। यह एक अनुसंधान केंद्र के रूप में विकसित होगा। जहां प्राचीन भारतीय खगोल विज्ञान व आधुनिक खगोल विज्ञान का समावेश कर अनुसंधान व गणनाएं होंगी। यहां सेटेलाइट से उपयोग होने वाले डेटा का उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा अंतरिक्ष अनुसंधान पर भी शोध होगा।
गुरुवार को इंदौर के ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर होने वाले टेक ग्रोथ कान्क्लेव 2.0 में मप्र की स्पेस टेक पालिसी का ड्राफ्ट जारी किया जाएगा। यह प्रदेश के विज्ञान व तकनीकी विभाग की छठी पालिसी होगी। 20 नवंबर को हैदराबाद में मप्र सरकार स्पेस टेक पालिसी को लांच करेगी। इसमें सेटेलाइट निर्माण क्षेत्र की कंपनियां, इसरो में काम करने वाले संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
फ्रांस की थामसन कम्प्यूटिंग कंपनी मप्र में सेमीकंडक्टर का निर्माण करेगी। इसके लिए कंपनी 5200 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। कंपनी के सीईओ डॉ. श्रीनिवास अनंत ने बताया कि हमारी कंपनी पहली बार भारत में मप्र में सेमीकंडक्टर निर्माण के लिए अपना उपक्रम लगाएगी। गुरुवार को इस संबंध में प्रदेश सरकार के साथ हमारा एमओयू होगा।
मप्र के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय दुबे के मुताबिक, मप्र में सेटेलाइट के कुछ पार्ट्स बनने की पूरी संभावना है। यही वजह है कि हमने इसरो, इन स्पेस, आरआरकेट, आईआईटी इंदौर सहित देश की 110 कंपनियों के साथ बात करके स्पेस टेक पालिसी को तैयार किया है। इस क्षेत्र में देश के अन्य प्रदेश भी काम कर रहे हैं, लेकिन हमारा उनसे मुकाबला नहीं हैं। हम इस क्षेत्र में सहयोग देने की भूमिका में रहेंगे।
सैटेलाइट तैयार करने में तैयार होने वाले अन्य कंपोनेट जो हलके होते है, अंतरिक्ष में कितने तापमान पर किस तरह का उपकरण तैयार हो सकता है, लेंस कौन से हो सकते हैं, इस क्षेत्र में काम किया जा सकता है।
भारत में 70 फीसद ग्लोबल केपेब्लिटी सेंटर (जीसीसी) लाने में अहम भूमिका निभाने वाली बंगलुरू की एएनएसआर ग्लोबल के साथ गुरुवार को मप्र सरकार का एमओयू होगा। यह कंपनी प्रदेश में जीसीसी लेकर आएगी। जीसीसी के तहत यह कंपनी विदेश की कंपनियों को भारत में उनके फाइनेंस, तकनीकी व अन्य कार्यों के लिए सेटअप शुरू करने में मदद करती है। ये कंपनियों को मार्गदर्शन को देने के साथ उन्हें जगह, सुविधाएं उपलब्ध करवाती है। गौरतलब है कि जीसीसी के लिए देश के टियर टू शहरों में भोपाल व इंदौर विदेशी कंपनियों की पसंदीदा जगह बनता जा रहा है।
पहली टेक ग्रोथ कान्क्लेव : 27 अप्रैल 2025 को हुई : मिले थे 20 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव
दूसरी टेक ग्रोथ कांक्लेव :13 नवंबर 2025 : 6330 करोड़ के निवेश की संभावना
फरवरी 2025 : ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट भोपाल में मप्र विज्ञान एवं तकनीकी विभाग ने 33 हजार करोड़ के निवेश का दावा किया।
पहली ग्रोथ कांक्लेव : 25 फीसद लक्ष्य हासिल करने का दावा।
दूसरी ग्रोथ कांक्लेव : 47 फीसद लक्ष्य हासिल करने का दावा।
राज्य सरकार का ‘टेक्नोलाजी-फर्स्ट इकोनॉमी विजन’ प्रस्तुत होगा।
मुख्यमंत्री 11 से ज्यादा उद्योगपतियों से वन-टू-वन बैठक भी करेंगे, जिसमें निवेश और सहयोग के नए अवसरों पर चर्चा होगी।
‘मध्यप्रदेश अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी नीति 2025’ का मसौदा होगा प्रस्तुत।
ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर, ड्रोन प्रौद्योगिकी, एवीजीसी-एक्सआर व गेमिंग पर बैठक होगी।
इसमें आईटी, इएसडीएम, ड्रोन, सेमीकंडक्टर और स्पेसटेक क्षेत्रों की 16 से अधिक अग्रणी कंपनियां नवीनतम नवाचारों और सहयोगात्मक पहलों का प्रदर्शन करेंगे।
कॉन्क्लेव में 500 से अधिक सीएक्सओ, स्टार्टअप संस्थापक, नीति निर्माता, निवेशक और शिक्षाविद शामिल होंगे।
ये अतिथि होंगे शामिल