हरेकृष्ण दुबोलिया, भोपाल। नौकर से अप्राकृतिक यौन शोषण के आरोपी पूर्व वित्त मंत्री राघवजी पर हबीबगंज थाना पुलिस खासी मेहरबान है। मामले में जांच काफी समय पहले ही पूरी हो गई थी। इस मामले में राघवजी के विरुद्ध पुख्ता सबूत भी पुलिस के पास मौजूद थे, लेकिन पुलिस और अभियोजन की ओर से इस मामले में सुुनियोजित तरीके से लगातार देरी की जा रही है। हाल में मामला कोर्ट की दहलीज पर भी पहुंच गया है, लेकिन मुकदमे की सुनवाई ही शुरू नहीं हो पा रही है।
ऐसे की जा रही देरीः चार्जशीट में 3 माह की बजाय लगाए 29 महीने
भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत किसी संज्ञेय अपराध में चार्जशीट दाखिल करने के लिए 90 दिन (3 माह) का समय निर्धारित है। निर्भया कांड के बाद यौन अपराध के मामलों में इसे घटाकर 45 से 60 दिन कर दिया गया है, लेकिन राघवजी के मामले में पुलिस की सुस्ती कुछ और ही कहानी बयां करती है। राघवजी के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दायर करने में पुलिस ने पूरे 29 महीने यानी ढाई साल लगा दिए।
हबीबगंज थाने में 7 जुलाई, 2013 को दर्ज हुए इस मामले में दो माह पूर्व 27 नवंबर, 2015 को चार्जशीट दायर की गई है। चूंकि मामला हाईप्रोफाइल था, इसलिए पुलिस ने सबूत मिलने के बाद ही इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद भी पुलिस ने जांच के नाम पर केस को ढाई साल तक लटका कर रखा।
5 जुलाई, 2013 को राघवजी की सीडी सामने आने और राजकुमार की लिखित शिकायत के बाद पुलिस ने राज्य सरकार के निर्देश पर मामले की प्रारंभिक पड़ताल पहले ही कर ली थी, पुख्ता सबूत मिलने और उनके सत्यापन के बाद ही पुलिस ने राघवजी के विरुद्ध दो दिन बाद एफआईआर दर्ज की थी।
चार्जशीट में छोड़ी कमियां
राघवजी के खिलाफ हबीबगंज थाना पुलिस को चार्जशीट दाखिल किए 2 माह से अधिक समय हो गया है, लेकिन अब तक चार्जशीट कमिट (आरोप पत्र की पुष्टि होना) नहीं हो पाई है। सूत्रों के मुताबिक चार्जशीट में जानबूझकर कुछ कमियां छोड़ दी गईं हैं। जब तक इन्हें दूर नहीं किया जाएगा, चार्जशीट कमिट (पुष्ट) नहीं होगी। सीजेएम पंकज सिंह माहेश्वरी की कोर्ट में चार्जशीट पर सुुनवाई के लिए पहली तारीख 14 दिसंबर लगी थी, इसके बाद लगातार सिर्फ तारीख पर तारीख ही बढ़ रही है।
अब तक 11 बार इस मामले में तारीख बढ़ चुकी है। अंतिम बार 27 फरवरी को इस मामले की सुनवाई की तारीख लगी थी, लेकिन किन्ही कारणों से सुनवाई टल गई। अब इस मामले में नई तारीख 9 फरवरी तय की गई है, जबकि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के नियमों के अनुसार चार्जशीट दाखिल होने के बाद उसकी कॉपी आरोपी को मिलने पर लगभग 3 सिटिंग (2 कार्य दिवस) के अंदर चार्जशीट उसे कमिट हो जाना चाहिए, लेकिन अब तक 2 माह में मंगलवार को 12वीं तारीख लगने जा रही है।
ये है मामला
तीन साल पहले 81 वर्षीय राघवजी पर उनके घरेलू नौकर राजकुमार दांगी ने लंबे समय से बार बार यौन शोषण करने का आरोप लगाया था। तुमरईया (मंडीदीप) निवासी राजकुमार राघवजी के चार इमली स्थित बी-19 बंगले पर रहकर काम करता था। राजकुमार से अप्राकृतिक कृत्य करते हुए वीडियो वायरल होने के बाद राघवजी को मंत्री पद और पार्टी की सदस्यता दोनों से हाथ धोना पड़ा था।
5 जुलाई, 2013 को मामले के खुलासे के बाद पुलिस प्रारंभिक जांचकर 7 जुलाई को इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी। राघवजी के बंगले पर रहने वाले दो अन्य लोग शेरसिंह और सुरेश सिंह चौहान पर भी राजकुमार ने यौन शोषण के आरोप लगाए। मामले में इन दोनों को भी अभियुक्त बनाया गया है।
अधिकतम 6 माह का समय पर्याप्त था
एक्सपर्ट व्यू - आरडी भलावी, रिटायर्ड जिला जज
जहां तक राघवजी केस का मामला है, इसमें चार्जशीट समेत पूरे पूरे प्रोसीजर को फॉलो करने के लिए अधिकतम 6 माह का समय पर्याप्त था। इससे ज्यादा देरी इस केस में नहीं होनी चाहिए थी। यह आईपीसी 377 का केस है, इसमें पुलिस को साक्ष्य के रूप में मुख्य रूप से मेडिकल रिपोर्ट तैयार करानी थी। अक्सर पुलिस प्रभावशाली लोगों के मामले में राजनीतिक दबाव और प्रभाव में काम करती है। पुलिस और वकील कई बार मामले को जानबूझकर डिले करते हैं, लेकिन जज अपनी ओर से मुकदमों को डिले नहीं करते। यदि चार्जशीट से लेकर समन और गवाहों की पेशी सही वक्त पर हो जाए तो फैसले में ज्यादा वक्त नहीं लगता। फरियादी पक्ष चाहे तो हाईकोर्ट से गुहार लगाकर इस मामले में जल्द अभियोजन प्रक्रिया पूरी कराने की मांग कर सकता है।
फैक्ट फाइल
मामला सामने आया - 5 जुुलाई, 2013
एफआईआर दर्ज हुई - 7 जुलाई, 2013
गिरफ्तारी हुई - 9 जुुलाई, 2013
जेल में रहे - 39 दिन
हाईकोर्ट से जमानत मिली - 12 अगस्त, 2013
सेशन कोर्ट में चार्जशीट दाखिल हुुई - 27 नवंबर, 2015