
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। दुनिया का कोई भी काम किसी की जिंदगी से बड़ा नहीं होता, इसलिए चाहे जितनी भी जल्दी हो, सुरक्षा नियमों का पालन करें। हेलमेट न पहनना और सीट बेल्ट नहीं लगाना जिंदगी से खिलवाड़ है। स्पीड में गाड़ी चलाकर हीरो बनने की जरूरत नहीं, नियमों का पालन करने वाला ही असली हीरो है। सरकार सड़कें सुधार सकती है, हेलमेट बांट सकती है, नियम कानून बना सकती है लेकिन गाड़ी का हैंडल और ब्रेक तो आपके ही हाथ में ही है। सड़क सुरक्षा को एक आदत नहीं, एक संस्कृति बनाएं। यह अपील मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बुधवार को भोपाल की प्रशासन अकादमी में सड़क सुरक्षा को लेकर आयोजित कार्यशाला में की। इस दौरान भारत सरकार और आइआइटी मद्रास के सहयोग से सड़क सुरक्षा के आधुनिक उपायों पर आधारित एडवांस एप्लीकेशन संजय का रिमोट का बटन दबाकर शुभारंभ किया तो लोक निर्माण विभाग और सड़क विकास निगम लिमिटेड ने आइआइटी मद्रास और सेव लाइफ फाउंडेशन के साथ दो अनुबंध पर हस्ताक्षर किए।
सड़क सुरक्षा नियमों का अवश्य करें पालन!
आज भोपाल में आयोजित 'सड़क सुरक्षा कार्यशाला-2025' में मध्यप्रदेश डेटा ड्रिवन हाइपरलोकल इंटरवेंशन्स एवं 'संजय' ऐप लॉन्च किया।
कार्यक्रम में लोक निर्माण विभाग व @iitmadras एवं लोक निर्माण विभाग व सेव लाइफ फाउंडेशन के बीच राज्य के 55 जिलों… pic.twitter.com/bPVf1mog7e
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) October 15, 2025
लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने कहा कि जैसे-जैसे सड़कें आधुनिक और तेज गति यातायात के अनुकूल बन रही हैं, वैसे-वैसे सड़क दुर्घटनाओं की संख्या भी बढ़ रही है। इस चुनौती से निपटने के लिए समाज की सक्रिय भागीदारी जरूरी है। सड़क सुरक्षा केवल कानून या चालान का विषय नहीं, बल्कि यह एक माइंडसेट का विषय है, जिसे बचपन से विकसित करने की आवश्यकता है। विभाग ने सड़क सुरक्षा को सशक्त बनाने के लिए लोकपथ ऐप जैसे कई नवाचार किए हैं। ऐप के माध्यम से कोई भी व्यक्ति सड़क क्षति या दुर्घटना की जानकारी साझा कर सकता है। संबंधित अधिकारी को सात दिन के भीतर उसका समाधान करना होगा। इसमें ब्लैक स्पाट अलर्ट सिस्टम भी जोड़ा गया है, जो वाहन चालकों को पहले से चेतावनी देगा कि आगे खतरनाक स्थान है। प्रदेश में अब हर माह दो बार औचक निरीक्षण कर सड़कों और भवनों की गुणवत्ता की जांच की जाती है। भविष्य में छोटी सड़कों पर सुरक्षा मानकों के क्रियान्वयन का काम सूचीबद्ध विशेषज्ञ एजेंसियों को सौंपा जाएगा, जिससे हर सड़क पर आवश्यक साइनबोर्ड, रिफ्लेक्टर और सुरक्षा मानक सुनिश्चित किए जा सकें।
मुख्य सचिव अनुराग जैन ने बताया कि देश में होने वाली लगभग 53 प्रतिशत दुर्घटनाएं दोपहिया वाहनों से जुड़ी हैं। यदि हेलमेट का सही उपयोग किया जाए तो 60 प्रतिशत जानें बचाई जा सकती हैं। जहां सड़क डिजाइन, गति नियंत्रण और जन-जागरूकता पर ध्यान दिया गया, वहां दुर्घटनाओं में कमी आई है। भारत सरकार एक नया इमरजेंसी रिस्पान्स सिस्टम शुरू कर रही है, जिसके तहत दुर्घटना की सूचना तुरंत अस्पताल तक पहुंचेगी और पहले सात दिनों का इलाज डेढ़ लाख रुपये तक निश्शुल्क कराया जाएगा।