
मुकेश विश्वकर्मा, नईदुनिया, भोपाल। मध्य प्रदेश फार्मेसी काउंसिल की नई ऑनलाइन पंजीयन प्रणाली अभ्यर्थियों के लिए मुसीबत बन गई है। करीब एक माह पहले शुरू हुई इस प्रक्रिया में अब तक तीन हजार से अधिक आवेदन अटक गए हैं। कारण यह है कि प्रदेश की ज्यादातर निजी यूनिवर्सिटी ने अब तक अपने छात्रों का डेटा डिजीलाकर पर अपलोड नहीं किया है। इससे आधे से ज्यादा उम्मीदवारों का ऑनलाइन आवेदन अधूरा रह गया है।
मध्य प्रदेश में 32 निजी यूनिवर्सिटी हैं, लेकिन इनमें से केवल आठ संस्थानों ने ही छात्रों की सूची काउंसिल को भेजी है। बाकी 30 यूनिवर्सिटी ने अब तक कोई जानकारी नहीं दी। फार्मेसी काउंसिल के अनुसार, सरकारी कॉलेजों के करीब चार हजार फार्मासिस्टों का पंजीयन पूरा हो चुका है, जबकि निजी संस्थानों के अभ्यर्थी फाइलों में फंसे हैं।
काउंसिल के अधिकारियों के मुताबिक, आनलाइन आवेदन में दो बड़ी समस्याएं सामने आई हैं। पहली कई छात्रों ने आवेदन में गलत या अधूरी जानकारी दर्ज की है। दूसरी अधिकांश निजी विश्वविद्यालयों ने छात्रों की लिस्ट काउंसिल को भेजने में लापरवाही बरती है। नतीजतन छात्रों को बार-बार आवेदन दोबारा भरना पड़ रहा है, जिससे सिस्टम बार-बार हैंग हो रहा है।
फार्मेसी काउंसिल ने चेतावनी दी है कि अगर निजी यूनिवर्सिटी जल्द ही छात्रों की लिस्ट नहीं भेजतीं तो दीपावली के बाद उनके रजिस्ट्रेशन रद करने की कार्रवाई की जाएगी। साथ ही काउंसिल ने कहा है कि वह इन संस्थानों के खिलाफ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग में शिकायत भी दर्ज कराएगी।
जिन यूनिवर्सिटी ने अपने अभ्यर्थियों की लिस्ट भेज दी है, उनके आवेदन बन रहे हैं। बाकी संस्थानों की वजह से प्रक्रिया अटकी हुई है। अगर दीपावली के बाद भी लिस्ट नहीं आई, तो उनका रजिस्ट्रेशन रद करवाने की कार्रवाई की जाएगी। - संजय जैन, अध्यक्ष, मप्र फार्मेसी काउंसिल।