
नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल: मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा, पांढुर्णा और बैतूल जिलों में विषाक्त कफ सीरप कोल्ड्रिफ से 24 बच्चों की मौत के बाद अब एक और चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। मामले में शामिल लालची डॉक्टर पर नया आरोप लगा है कि उसे सितंबर महीने में ही अंदेशा हो गया था कि सीरप में अमानक डायएथिलीन ग्लाइकाल (DEG) मिल सकता है। बच्चों की तबीयत तेजी से बिगड़ने पर उसने कंपनी के स्थानीय दवा प्रतिनिधि सतीश वर्मा के जरिए सीरप निर्माता फर्म श्रीसन फार्मास्यूटिकल प्रा. लि. से जानकारी मांगी थी।
फर्म के मालिक जी रंगनाथन ने 27 सितंबर को डॉ. प्रवीण सोनी को पत्र भेजकर दावा किया था कि सीरप गुणवत्ता मानकों पर खरा है और इसी बैच की सप्लाई अन्य राज्यों में की गई है, जहां से कोई शिकायत नहीं आई। आरोप है कि यह जानकारी मिलने के बावजूद डॉ. सोनी ने छिंदवाड़ा जिले के प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को इस संभावित खतरे की सूचना नहीं दी, जबकि वे परासिया सिविल अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ के रूप में पदस्थ थे।
उनकी इस लापरवाही के कारण बच्चे लगातार दम तोड़ते रहे, जबकि प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग अन्य बीमारियों की निगरानी में लगे रहे और कफ सीरप की बिक्री पर प्रतिबंध भी समय रहते नहीं लग पाया। पुलिस पूछताछ में फर्म के मालिक जी रंगनाथन ने यह जानकारी स्वीकार की है।
यह भी सामने आया है कि कफ सीरप निर्माण में फार्मा ग्रेड की जगह इंडस्ट्रियल ग्रेड डायएथिलीन ग्लाइकाल की सप्लाई हुई थी। तमिलनाडु औषधि प्रशासन की जांच में सीरप में डीईजी की मात्रा 48.6 प्रतिशत पाई गई, जबकि स्वीकृत सीमा मात्र 0.6 प्रतिशत है।
डीईजी की अत्यधिक मात्रा से बच्चों की किडनी फेल होने के कारण उनकी मौत हुई। इस मामले में पुलिस की विशेष जांच टीम (SIT) अब तक 10 आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है, जिनमें फर्म मालिक जी रंगनाथन, केमिकल एनालिस्ट के. माहेश्वरी, डॉ. प्रवीण सोनी, उनकी पत्नी ज्योति और दवा प्रतिनिधि शामिल हैं। सभी से रिमांड पर पूछताछ जारी है।