भोपाल (नईदुनिया स्टेट ब्यूरो)। आदिवासी आदिम नहीं बल्कि मध्य प्रदेश की मुख्य जनजाति है। कुछ लोगों ने जनजातीय भाई-बहनों का नाम आदिम जाति रख दिया है। आज से आदिम जाति कल्याण विभाग का नाम बदलकर जनजातीय कार्य विभाग किया जाएगा। साथ ही प्रदेश में 15 नवंबर को हर साल जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाएगा। सेवा के नाम पर होने वाले धर्मांतरण को कठोरता से रोका जाएगा। समरसता छात्रावास स्थापित होंगे।
यह बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को जननायक बलिदानी बिरसा मुंडा के जन्मदिन पर आयोजित कार्यक्रम में कही। मध्य प्रदेश जनजातीय संग्रहालय में स्वाधीनता संग्राम में आदिवासी चेतना के जननायक बलिदानी बिरसा मुंडा के जन्मदिवस के मौके पर जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इसमें शिवराज सिंह ने कहा कि सामाजिक न्याय हमारी प्रतिबद्धता है। धर्मांतरण के कुचक्र को मध्य प्रदेश में नहीं चलने दूंगा। सेवा कीजिए लेकिन सेवा की आड़ में मुख्यधारा को कुंद करने की साजिश होगी तो उसे कामयाब नहीं होने दूंगा। हम जनजाति नायकों को सम्मान देंगे। हमारी जनजाति परंपरा भारत की मूल परंपरा है। कुछ लोग हमें बांटने की कोशिश कर रहे हैं। हम सब एक हैं। हमारी संस्कृति बहुरंगी है। सरकार सभी की है। सामाजिक समरसता मूल मंत्र है। वर्ग संघर्ष नहीं होने देंगे। हमारा एक वज्र संकल्प है कि मध्य प्रदेश के संसाधनों पर सबसे पहला हक गरीबों का है। जबलपुर में पांच करोड़ रुपये की लागत से भव्य स्मारक बनाया जाएगा।
कमल नाथ सरकार ने बदल दिया था नाम
कमल नाथ सरकार ने फरवरी 2019 में जनजातीय कल्याण विभाग का नाम बदलकर आदिम जाति कल्याण विभाग कर दिया था। कैबिनेट में इसका प्रस्ताव तत्कालीन जनजातीय कल्याण मंत्री ओमकार सिंह मरकाम ने रखा था। पिछली शिवराज सरकार में विभाग का नाम बदलकर जनजातीय कार्य विभाग किया गया था।