नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। एम्स अस्पताल से चोरी हो रहे ब्लड प्लाज्मा की अंतरराज्यीय कालाबाजारी पर बड़ा राजफाश हुआ है। पुलिस जांच में सामने आया है कि यह गिरोह अब तक कम से कम 1150 यूनिट प्लाज्मा चोरी करके महाराष्ट्र के नासिक और औरंगाबाद स्थित दो निजी प्रयोगशालाओं को बेच चुका है। इन प्रयोगशालाओं में प्लाज्मा का उपयोग कर बायोमेडिकल दवाएं बनाई जा रही थीं। पुलिस ने नासिक और औरंगाबाद में इन प्रयोगशालाओं के संचालन से जुड़े दो लोगों को गिरफ्तार किया है।
पुलिस के अनुसार, गिरोह का सरगना लक्की पाठक पहले ही गिरफ्तार है। उसका भाई दीपक पाठक इस रैकेट का प्रमुख सप्लायर निकला है। दीपक ने पूछताछ में बताया कि वह औरंगाबाद के लैब संचालक करण चौहान और नासिक के श्याम देशमुख को चोरी किया गया प्लाज्मा बेचता था। पुलिस के अनुसार, दीपक ने बीते कुछ महीनों में करण को 800 यूनिट प्लाज्मा और श्याम को 350 यूनिट प्लाज्मा सप्लाई किया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए भोपाल की बागसेवनिया थाना पुलिस की दो टीमें महाराष्ट्र भेजी गई थीं।
पुलिस ने पहले औरंगाबाद से करण चौहान को गिरफ्तार किया और उसके बयान के आधार पर नासिक निवासी श्याम देशमुख को भी हिरासत में लिया गया। दोनों से पूछताछ में यह साफ हुआ कि चोरी का प्लाज्मा उनकी प्रयोगशालाओं में पहुंचकर इम्यूनोग्लोबुलिन, क्लाटिंग फैक्टर, एल्ब्युमिन, और प्रोथ्रोम्बिन कॉम्प्लेक्स जैसे दवाओं में परिवर्तित किया जा रहा था। ये ड्रग्स अस्पतालों और फार्मा एजेंसियों को महंगे दामों पर बेची जाती थीं। शनिवार को पुलिस ने दीपक पाठक, करण और श्याम को कोर्ट में पेश कर पुलिस रिमांड पर लिया है। उनसे पूछताछ के बाद गिरोह की और भी जानकारी पुलिस को मिलेगी।
जांच में सामने आया कि भोपाल एम्स ब्लड बैंक के आउटसोर्स कर्मचारी अंकित केलकर और उसका साथी अमित जाटव पिछले एक साल से नियमित रूप से प्लाज्मा चोरी कर रहे थे। अंकित को ब्लड बैंक में नौकरी दिलाने वाला खुद अमित था। दोनों को लक्की ने प्लाज्मा चोरी के बदले मोटी रकम देने का लालच दिया था।
आरोपित एम्स से प्लाज्मा चुराकर लैब संचालकों को सप्लाई कर रहे थे। पुलिस ने केस से जुड़े सभी आरोपितों को पकड़ा है। उनसे पूछताछ की जा रही है, जिसके बाद बड़े गिरोह की खुलासे की संभावना है। - विवेक सिंह, डीसीपी, जोन-2, भोपाल