राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के गृह जिले उज्जैन में 300 करोड़ रुपये की लागत से चिड़ियाघर सह रेस्क्यू सेंटर बनाया जाएगा। केंद्र सरकार के चिड़ियाघर प्राधिकरण से इसकी सैद्धांतिक मंजूरी भी मिल गई है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की अनुमति अनिवार्य होगी। इसके लिए प्रदेश सरकार के वन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन लगाने की प्रक्रिया शुरु कर दी है। जबकि जबलपुर के लिए प्रस्ताव भेजा जाना है।
बता दें कि प्रदेश में अब तक वन्य प्राणियों के लिए केवल एक रेस्क्यू सेंटर राजधानी भोपाल स्थित राष्ट्रीय उद्यान वन विहार में है। उज्जैन में यह प्रदेश का दूसरा रेस्क्यू सेंटर होगा, जहां वन्य प्राणियों का इलाज भी उपलब्ध होगा। मुख्यमंत्री डा मोहन यादव की घोषणा के अनुरूप पहले चरण में उज्जैन में चिड़ियाघर बनाने के लिए बजट प्रविधान किया गया है।
उज्जैन में 80 हेक्टेयर में बनने वाले चिड़ियाघर-सह-सफारी की परियोजना के लिए 25 करोड़ रुपये की प्रारंभिक राशि मंजूर की गई है। विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के अनुसार बाघ, सफेद बाघ और तेंदुआ, चीता सहित बड़े मांसाहारी जानवरों के लिए 47 अलग-अलग बाड़ों के साथ-साथ छोटे मांसाहारी, शाकाहारी, पक्षी, सरीसृप, एक तितली गुंबद, एक मछलीघर, एक बचाव केंद्र और एक पशु चिकित्सा अस्पताल बनाने की योजना है।
उज्जैन के अलावा जबलपुर में चिड़ियाघर बनाने के लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट से अनुमति लेगी। क्योंकि जंगल के अंदर चिड़ियाघर बनाने के लिए पक्के निर्माण कार्य होते हैं जिसे सुप्रीम कोर्ट ने गैर वानिकी गतिविधि माना है। जबलपुर चिड़ियाघर के लिए अभी डीपीआर तैयार नहीं हुई है।
डीपीआर बनने के बाद इसे चिडियाघर प्राधिकरण की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। हालांकि चिड़़ियाघर सह रेस्क्यू सेंटर राजस्व भूमि पर बनाया जाए तो इसके लिए सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होती है, लेकिन उज्जैन में जंगल की भूमि पर इसे बनाना प्रस्तावित है।
उज्जैन में बनने वाले चिड़ियाघर में चीता लाने की भी तैयारी है। इसके लिए गुजरात के जामनगर स्थित रिलायंस के वनतारा सेंटर से मध्य प्रदेश सरकार चीता सहित अन्य वन्यप्राणी ला सकती है। पिछले दिनों प्रदेश के अधिकारियों का दल वनतारा गया था और वहां की व्यवस्थाओं का अध्ययन कर शासन को रिपोर्ट प्रस्तुत की है।