
नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। वाहनों पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट (एचएसआरपी) लगवाने की अनिवार्यता अब पुराने वाहन मालिकों के लिए मुसीबत बन गई है। जिन ऑटोमोबाइल कंपनियों ने भारत में अपना कारोबार समेट लिया है या जो कंपनियां बंद हो चुकी हैं, उनकी गाड़ियों की एचएसआरपी नहीं बन पा रही है। भोपाल में ऐसे करीब दो हजार से अधिक वाहन मालिक हैं, जो आरटीओ और डीलरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं, लेकिन उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं निकल रहा।
एक नंबर प्लेट बनाने वाली कंपनी के प्रतिनिधि ने बताया कि एचएसआरपी व्यवस्था के तहत नंबर प्लेट बनाने के लिए वाहन निर्माता कंपनी (ओईएम) और नंबर प्लेट निर्माता कंपनी के बीच एक करार (एग्रीमेंट) होना अनिवार्य होता है। वर्तमान में भोपाल में रोजमाटा सेफ्टी प्राइवेट लिमिटेड, एफटीए और सुजुकी जैसी कंपनियां नंबर प्लेट बना रही हैं। रोजमाटा मारुति के अलावा अन्य सभी कंपनियों की कारों का काम देखती हैं।
एफटीए ज्वाइंडियर ट्रैक्टर, हारवेस्टर व बड़े वाहनों का काम देखता है, जबकि सुजुकी टू व्हीलर की नंबर प्लेट बनाती है। नियम के मुताबिक, पोर्टल पर डाटा तभी प्रोसेस होता है जब ओईएम यानी गाड़ी बनाने वाली कंपनी मौजूद हो। चूंकि भोपाल में 25 कंपनियों की गाड़ियां हैं जो अब बंद हो चुकी हैं, इसलिए उनका कोई प्रतिनिधि या सिस्टम मौजूद नहीं है जो नंबर प्लेट बनाने के लिए अधिकृत कर सके।
शहर में जिन कंपनियों की गाड़ियों की नंबर प्लेट अटक गई है, उनमें प्रमुख रूप से मिस्तुबिसी, फिएट, विली, एपीआई ऑटो, एसीई मोटर, एजेएएक्स, एलएनटी, मिल्किन हारवेस्टर और पंजाब ट्रैक्टर्स शामिल हैं। इनमें से कई पुरानी जीप, विंटेज कार और कमर्शियल वाहनों की श्रेणी में आते हैं।
हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (एचएसआरपी) एल्युमीनियम से बनी एक खास नंबर प्लेट होती है। इसे आसानी से बदला या तोड़ा नहीं जा सकता। इसमें अशोक चक्र का हाट-स्टैम्प्ड क्रोमियम होलोग्राम होता है जो इसकी असली होने की पहचान है। प्लेट पर 'आईएनडी' लिखा होता है और यह एक रेट्रो-रिफ्लेक्टिव शीट से ढकी होती है, जिससे रात में दूर से ही नंबर साफ दिखाई देता है।
एचएसआरपी व्यवस्था की सुरक्षा और प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर (ओईएम) अनिवार्य है। ओईएम ही वाहन का चेसिस और इंजन डेटा सत्यापित करता है। एचएसआरपी के लेजर कोड (पिन) को केंद्रीय "वाहन पोर्टल" पर उत्पादन लिंक के जरिए दर्ज करने के लिए ओईएम की सहमति आवश्यक है। ओईएम के बिना, नंबर प्लेट निर्माता कंपनियों और डेटाबेस के बीच कानूनी और तकनीकी अनुपालन टूट जाता है, जिससे प्लेट नहीं बन पाती है।
एचएसआरपी की सबसे बड़ी खासियत इसका "लेजर कोड" है। हर नंबर प्लेट पर एक यूनिक (अद्वितीय) लेजर-ब्रांडेड 10 अंकों का परमानेंट आइडेंटिफिकेशन नंबर (पिन) होता है। यह कोड वाहन के इंजन नंबर और चेसिस नंबर के साथ केंद्रीय डेटाबेस (वाहन पोर्टल) में लिंक होता है।
इस प्लेट को वाहन में एक विशेष "स्नैप लॉक" के जरिए फिट किया जाता है। एक बार लग जाने के बाद इसे खोला नहीं जा सकता, इसे केवल काटकर ही निकाला जा सकता है। इससे वाहन चोरी होने पर नंबर प्लेट बदलना मुश्किल हो जाता है और पुलिस के लिए गाड़ी को ट्रैक करना आसान हो जाता है।
जिन लोगों के पास ऐसे वाहन हैं उनकी वैकल्पिक व्यवस्था करने की तैयारी है। विभागीय स्तर पर इसका काम चल रहा है। फिलहाल में ऐसे वाहनों की नंबर प्लेट को आरटीओ में ही बनवाया जा रहा है। उनके ओरिजनल कागज वैरिफाई करके गाड़ियों का रिनोवल किया जा रहा है। - जितेंद्र शर्मा, आरटीओ भोपाल